Jagdeep Dhankhar delivered a stern message to parliamentarians: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि सांसद सदन में देशवासियों को उलझाने की बजाय ‘सार्थक बहस’ करें। उन्होंने सदन के सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों सांसदों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि वह सदन में विनाशकारी व्यवधान डालने से बचें।
राज्यसभा सभापति ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले अपने संबोधन में कहा कि दुनिया हमारे लोकतंत्र को देखती है, फिर भी हम अपने आचरण से अपने नागरिकों को विफल साबित करते हैं। उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा कि ये संसदीय व्यवधान देश की जनता के विश्वास और अपेक्षाओं का मजाक बनाता हैं। उनका कहना था कि परिश्रम के साथ देश की सेवा करना हमारा मौलिक कर्तव्य है।
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The world watches our democracy, yet we fail our citizens through our conduct. These Parliamentary disruptions mock public trust and expectations. Our fundamental duty to serve with diligence lies neglected.
---विज्ञापन---Where reasoned dialogue should prevail, we witness only chaos. I urge… pic.twitter.com/yCfOsiatL9
— Vice-President of India (@VPIndia) December 20, 2024
प्रत्येक सांसद करें अपनी अंतरात्मा की जांच
सभापति ने (15 नवंबर) सत्र शुरू होने के बाद से लगातार हो रहे व्यवधानों का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में जहां तर्कसंगत बातचीत होनी चाहिए, वहां केवल अराजकता देखने को मिली। उपराष्ट्रपति ने अपने खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पेश करने पर कहा कि इस प्रस्ताव पर सभी दलों के प्रत्येक सांसद को अपनी अंतरात्मा की जांच करनी चाहिए।
देश की जनता सासंदों के नाटक की नहीं, अपने लिए भलाई के कामों की हकदार
सभापति ने आगे कहा कि देश की जनता सदन में सासंदों के तमाशे की बजाए अपने लिए विकास कार्यों की हकदार है। उन्होंने सभी सांसदों ने आग्रह करने हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि सभी सासंद गहराई से आत्मनिरीक्षण करेंगे और देश के नागरिकों के प्रति अपनी जवाबदेही का पालन करेंगे। उनका कहना था कि ये पवित्र सदन सांसदों के ऐसे आचरण का हकदार है, जो सदन में आने से पहले हमारी ली गई शपथ का सम्मान करे।
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