संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संस्कृति विषय पर भाषणों के संकलन ‘संस्कृति का पांचवा अध्याय’ का विमोचन हुआ। दरअसल, 18 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व विरासत दिवस के मौके पर इसका विमोचन किया जाता है। इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भारत की समृद्ध विरासत पर बात की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी लोगों को भारतीय संस्कृति के बारे में गर्व के साथ बात कर पाने का अवसर नहीं मिला। भारत ने 2014 के बाद ही अपनी संस्कृति और प्राचीन विरासत के बारे में गर्व के साथ बात करना शुरू किया है। उन्होंने इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।
पुस्तक का विमोचन
पुस्तक का विमोचन जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने किया। विमोचन के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस दौरान संबोधन में पीएम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद देशवासियों ने ‘भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों’ के बारे में गर्व के साथ बात करना शुरू कर दिया है और यह एक ‘बड़ा बदलाव’ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने तक ‘विकसित भारत’ बनाने का संकल्प लिया। विकसित भारत का यह सपना 2014 के बाद देखा गया, इससे पहले नहीं देखा गया।
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संस्कृति पर करें गर्व
उपसभापति हरिवंश ने कहा कि विकसित भारत के इस विजन में प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता को त्यागने और अपनी संस्कृति पर गर्व करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में अपनी संस्कृति पर गर्व करने के लिए समृद्ध सामग्री मौजूद है। उन्होंने कहा, 2014 के बाद से हमने भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों के बारे में गर्व के साथ बात करना शुरू किया है, जो एक बड़ा बदलाव है। इसलिए इस पुस्तक का महत्व और भी बढ़ गया है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना
‘संस्कृति का पांचवा अध्याय’ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विभिन्न अवसरों पर दिए गए भाषणों का एक संकलित संग्रह है, जिसमें भारतीय संस्कृति, परंपराओं, आध्यात्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला गया है।
जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा, 2008 में यूरोप में रहने वाले एक भारतीय गुरु ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के लिए काफी प्रयास किए, जिसके लिए भारत सरकार से भी मदद मांगी। 2016 में मोदी ने इसे हकीकत बना दिया। अब 21 जून को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए उनके कमिटमेंट का सबूत है।
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