President Droupadi Murmu : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्न का नेतृत्व कर रहा है। यह कहा जाता है कि किसी भी देश में 75 साल का समय पलक झपकने जैसा होता है, लेकिन भारत के पिछले 75 सालों के संदर्भ में ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है। यह वह कालखंड है, जिसमें लंबे समय से सोई हुई भारत की आत्मा फिर से जागी है और हमारा देश विश्व समुदाय में अपना समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुआ है। विश्व की प्राचीनतम सभाओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था, लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज हमें सबसे पहले उन वीरों को याद करना चाहिए, जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए महान बलिदान दिए। कुछ प्रसिद्ध थे, जबकि कुछ हाल ही तक कम ही जाने गए। हम इस वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं, जो स्वतंत्रता सेनानियों के प्रतिनिधि के रूप में खड़े हैं, जिनकी भूमिका राष्ट्रीय इतिहास में अब सही अनुपात में पहचानी जा रही है। 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में उनके संघर्षों ने एक संगठित राष्ट्रव्यापी स्वतंत्रता आंदोलन में समेकित किया।
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उन्होंने आगे कहा कि यह देश का सौभाग्य था कि महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे लोग थे, जिन्होंने इसे अपने लोकतांत्रिक लोकाचार को फिर से खोजने में मदद की। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिन्हें हमने आधुनिक समय में सीखा है, वे हमेशा हमारी सभ्यतागत विरासत का हिस्सा रहे हैं।
#WATCH | In her address to the nation on the eve of the 76th #RepublicDay, President Droupadi Murmu says, “Pre-matric and post-matric scholarships, national fellowships, overseas scholarships, hostels and coaching facilities for the youth from the SC communities are being… pic.twitter.com/FezNamIHBM
— ANI (@ANI) January 25, 2025
अनुसूचित जाति समुदाय के युवाओं को मिल रहीं सुविधाएं : राष्ट्रपति
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के युवाओं के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय फेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्ति, छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना रोजगार और आय सृजन के अवसरों को जोड़कर अनुसूचित जाति समुदायों के बीच गरीबी को कम करने में प्रगति कर रही है।
#WATCH | In her address to the nation on the eve of the 76th #RepublicDay, President Droupadi Murmu says, “We got freedom in 1947, but many relics of a colonial mindset persisted among us for long. Of late, we have been witnessing concerted efforts to change that mindset. Among… pic.twitter.com/fpD0f8dtSH
— ANI (@ANI) January 25, 2025
औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने का प्रयास : द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमें 1947 में स्वतंत्रता मिली, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष हमारे बीच लंबे समय तक बने रहे। हाल ही में हम उस मानसिकता को बदलने के लिए ठोस प्रयास देख रहे हैं। ऐसे प्रयासों में सबसे उल्लेखनीय भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदलने का निर्णय था। न्यायशास्त्र की भारतीय परंपराओं पर आधारित नए आपराधिक कानून दंड के बजाय न्याय प्रदान करने को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में रखते हैं। इसके अलावा नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों का मुकाबला करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
#WATCH | In her address to the nation on the eve of the 76th #RepublicDay, President Droupadi Murmu says, “Reforms of such magnitude require an audacity of vision. Another measure that promises to redefine the terms of good governance is the Bill introduced in Parliament to… pic.twitter.com/cOjTZiqXJb
— ANI (@ANI) January 25, 2025
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राष्ट्रपति ने एक राष्ट्र एक चुनाव का भी किया जिक्र
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के बड़े सुधारों के लिए दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। एक और उपाय जो सुशासन की शर्तों को फिर से परिभाषित करने का वादा करता है, वह है देश में चुनाव कार्यक्रमों को एक साथ करने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ योजना शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, नीतिगत पक्षाघात को रोक सकती है, संसाधनों के विचलन को कम कर सकती है और वित्तीय बोझ को कम कर सकती है। साथ ही कई अन्य लाभ भी प्रदान कर सकती है।