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नवकार महामंत्र दिवस पर पीएम मोदी का सादगीपूर्ण अंदाज, बिना जूते पहने आए और आमजनों के साथ बैठे

पीएम नरेंद्र मोदी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'नवकार महामंत्र दिवस' कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम मोदी ने अन्य लोगों के साथ 'नवकार महामंत्र दिवस' कार्यक्रम में 'नवकार महामंत्र' का जाप किया।

Author Written By: Kumar Gaurav Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Apr 9, 2025 12:28
PM Modi in Navkar Mahamantra Divas Program
PM Modi in Navkar Mahamantra Divas Program

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम में शामिल हुए। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री ने सादगी और श्रद्धा का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिसने वहां उपस्थित हर व्यक्ति को भावविभोर कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी बिना जूते-चप्पल के कार्यक्रम में पहुंचे, जो नवकार महामंत्र के प्रति उनकी आस्था और सम्मान का प्रतीक था। उन्होंने परंपराओं का पालन करते हुए मंच पर बैठने के बजाय आमजनों के साथ बैठकर नवकार महामंत्र का जाप किया। यह दृश्य प्रधानमंत्री की सामान्यता, विनम्रता और आध्यात्मिकता से जुड़े व्यक्तित्व को दिखाता है।

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कार्यक्रम में पीएम बिना जूते-चप्पल के आए

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नवकार महामंत्र का दर्शन विकसित भारत के विजन से जुड़ता है। विकास भी, विरासत भी और यही है नए भारत का संकल्प। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘ज्ञान भारतम मिशन’ की घोषणा भी की, जिसके तहत देशभर की प्राचीन पांडुलिपियों का सर्वे कर उन्हें डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह मिशन भारत की प्राचीन विरासत को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़ है और इसे संरक्षित करना देश का कर्तव्य है। बीते सालों में 20 से अधिक तीर्थंकरों की प्रतिमाएं विदेशों से भारत लाई गई हैं, जो इस दिशा में सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार महामंत्र केवल मंत्र नहीं, आत्मशुद्धि का मार्ग है। यह हमें भीतर की नकारात्मकताओं से लड़ने और मानवता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे उन्होंने कुछ साल पहले बंगलुरु में सामूहिक मंत्रोच्चार का अनुभव किया था, वैसी ही गहराई की अनुभूति उन्हें आज विज्ञान भवन में भी हुई।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री का बिना जूते आना और आमजन के बीच बैठना न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक था, बल्कि यह दिखाता है कि भारत का नेतृत्व धरती से जुड़ा हुआ है, और विकास के साथ अपनी विरासत को सहेजने के लिए प्रतिबद्ध है।

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First published on: Apr 09, 2025 12:28 PM

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