Can a plane crash due to a hole in the Nose Cone: इंडिगो की एक फ्लाइट में चलते हुए छेद हो गया। दरअसल, बीते दिनों ओलों के कारण विमान के नोज कोन (आगे का हिस्सा) में नुकसान हुआ था, जिससे विमान को इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी। एविएशन एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे मामलों में पायलट विमान को सुरक्षित रूप से उतारने की कोशिश करते हैं। इसलिए, नोज में छेद होने से विमान सीधे गिर नहीं जाता, लेकिन यह उड़ान को अस्थिर कर सकता है और ऐसे हालत में पायलट को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है।
इस घटना के बाद लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर ये प्लेन किस मटेरियल के बने होते हैं? अगर प्लेन में किसी कारण से छेद हो भी जाए तो वह कितना खतरनाक हो सकता है? इसके अलावा क्या हवाई सफर के दौरान आने वाला टर्बुलेंस खतरनाक होता है? आइए आपको इस खबर में इन सब सवालों के जवाब देने का प्रयास करते हैं।
Indigo flight 6E-2142 from Delhi to Srinagar got caught in a severe hailstorm.
The flight landed safely and all passangers are safe.
---विज्ञापन---Hailstorm was so severe that it damaged the plane’s nose cone. pic.twitter.com/E0BioVa8tF
— Incognito (@Incognito_qfs) May 21, 2025
प्लेन किस चीज से बना होता है?
विमान कई तरह के मटेरियल को मिलाकर बनाया जाता है। एविएशन विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी विमान को बनाने में उसे किस तरह हल्का, मजबूत और टिकाऊ रखा जाए इन बातों पर जोर दिया जाता है। जानकारी के अनुसार हवाई जहाज का मुख्य ढांचा एल्यूमीनियम मिश्र धातु (Aluminum Alloy) का यूज कर बनाया जाता है। दरअसल, यह धातु बेहद हल्की होती है, जिससे विमान का वजन कम रहता है। विमान का वजन कम रखने से उड़ते हुए वह ईंधन की खपत भी कम करता है।
टाइटेनियम और कार्बन फाइबर कंपोजिट से हाई स्पीड पर रहता है टिकाऊ
विमान को बनाने में टाइटेनियम और कार्बन फाइबर कंपोजिट जैसी सामग्रियों का भी यूज किया जाता है, जो विमान को एडिशनल मजबूती प्रदान करती हैं। वहीं, विमान के इंजन को बनाने में टाइटेनियम और निकल दोनों धातु लगती हैं, क्योंकि ये अधिक तापमान और प्रेशर को झेलने में सक्षम होती हैं। इसके अलावा इंजन के ब्लेड विशेष रूप से डिजाइन किए जाते हैं ताकि वे हाई स्पीड पर भी टिकाऊ बने रहें।
कार्बन फाइबर कंपोजिट से बने होते हैं विमान के पंख
विमान के पंखों को बनाने में कार्बन फाइबर कंपोजिट और एल्यूमीनियम का यूज किया जाता है। वहीं, लैंडिंग गियर, स्टील और टाइटेनियम से बनाया जाता है। बता दें लैंडिंग गियर विमान को टेकऑफ और लैंडिंग में मदद करता है। विमान के टायर सिंथेटिक रबर कंपाउंड और नायलॉन से बनते हैं। इनमें नाइट्रोजन गैस भरी जाती है, जिससे ये हाई प्रेशर और तापमान में यात्रियों को सुरक्षित रख सकें।
क्यों आते हैं टर्बुलेंस, विमान पर क्या पड़ता है असर?
टर्बुलेंस एक अस्थिर हवा होती है, जो विमान की उड़ान को प्रभावित कर सकती है। यह तब होता है जब हवा की स्पीड और दिशा अचानक बदल जाती है, जिससे विमान हिलने लगता है और यात्रियों को झटके महसूस होते हैं। जानकारी के अनुसार अधिकतर मामलों में टर्बुलेंस खतरनाक नहीं होता, लेकिन कभी-कभी यह गंभीर हो सकता है। यदि टर्बुलेंस बहुत तेज हो, तो यह विमान के अंदर यात्रियों को चोट पहुंचा सकता है, खासकर अगर वे सीट बेल्ट नहीं पहने हुए हों।
IndiGo flight 6E-2142 (Delhi to Srinagar) hit by a severe hailstorm mid-air.
All passengers safe, flight landed safely — but the nose cone of the aircraft was damaged.#IndiGo #DelhiStorm #DelhiRain #DelhiToSrinagar pic.twitter.com/zWnpzIERAd— Greater Noida West (@GreaterNoidaW) May 21, 2025
टर्बुलेंस के कारण, तेजी से विमान हिलने पर पर क्या करें यात्री?
कारण
- मौसम संबंधी कारण तूफान, गरज-चमक और तेज हवाओं के कारण टर्बुलेंस हो सकता है।
- जेट स्ट्रीम ऊंचाई पर तेज गति से बहने वाली हवाएं विमान को प्रभावित कर सकती हैं।
- माउंटेन वेव टर्बुलेंस पहाड़ों के पास हवा की धाराएं बाधित होने से टर्बुलेंस उत्पन्न हो सकता है।
- क्लियर एयर टर्बुलेंस यह बिना किसी स्पष्ट मौसम संकेत के होता है और सबसे अप्रत्याशित होता है।
यात्री ये करें
- टर्बुलेंस आने पर क्रू के निर्देशों का पालन करें।
- हमेशा सीट बेल्ट बांधकर रखें।
- पायलट और क्रू के निर्देशों का पालन करें।
- अनावश्यक रूप से विमान में इधर-उधर न चलें।
क्या होती है नोज कोन (Nose Cone), क्यों पड़ा ये नाम ?
प्लेन की नोज कोन विमान के आगे का हिस्सा होता है, जो हवा के प्रतिरोध को कम करने और विमान को स्थिर रखने में मदद करता है। अगर नोज में छेद हो जाए या यह गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाए, तो इससे विमान की एयरोडायनामिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है और कुछ महत्वपूर्ण उपकरण जैसे रडार और मौसम सेंसर काम करना बंद कर सकते हैं। लेकिन एविएशन एक्सपर्ट ने बताया कि आज के समय में विमानों को इस तरह की क्षति को सहन करने के लिए डिजाइन किया जाता है। यदि नोज कोन में मामूली नुकसान हो, तो विमान उड़ान जारी रख सकता है, लेकिन अगर नुकसान बहुत बड़ा हो, तो यह नेविगेशन और नियंत्रण में कठिनाई पैदा कर सकता है। विमान के अगले हिस्से को नोज कोन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आकार नाक जैसा होता है और यह विमान के एयरोडायनामिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नोज कोन हवा के प्रतिरोध को कम करने, रडार और सेंसर की सुरक्षा और नेविगेशन और संचार में मदद करती है।
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