Parliament Special Session: केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है। ये सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी। ये 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। बता दें कि हाल में खत्म हुए मानसून सत्र के बाद सरकार के की ओर से विशेष सत्र बुलाए जाने की घोषणा ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है।
चर्चा है कि आखिर सरकार संसद के विशेष सत्र में क्या खास लाने वाली है? क्या सरकार कोई महत्वपूर्ण बिल लेकर आएगी? या विपक्ष की ये आशंका सही है कि लोकसभा के चुनाव से पहले, ये आखिरी सत्र होगा। यानी सरकार समय से पहले चुनाव कराने की तैयारी कर रही है।
हालांकि, संसद के एजेंडे को लेकर अभी कोई भी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। सिर्फ विशेष सत्र की तारीख सामने आई है।
क्या है संभावना?
संभावनाओं के लिहाज से अगर देखा जाए, तो सरकार के सामने कई बड़े एजेंडे हैं। इसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड, वन नेशन वन इलेक्शन, महिला रिजर्वेशन और महिला रिप्रेजेंटेशन जैसे मुद्दे शामिल हैं। इतना ही नहीं दिल्ली में होने वाले जी-20 की बैठक के बाद, भारत विश्व में बड़ी ख्याति प्राप्त करेगा। संसद के विशेष सत्र में इस पर भी चर्चा हो सकती है।
बता दें, पिछली बार मानसून सेशन में संसद के नए भवन में संसद की बैठक नहीं हुई थी। अब संसद का नया भवन बन कर तैयार है। लिहाजा, संसद के विशेष सत्र में पुराने संसद के इतिहास और सफलता के मुद्दे पर चर्चा करते हुए, नई संसद में लोकसभा और राज्यसभा शिफ्ट हो जायेगी। इसके बाद G20 से भारत को मिले सम्मान पर भी चर्चा होगी।
वन नेशन वन इलेक्शन
वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा लंबे समय से हो रही है। प्रधानमंत्री को लगता है कि अलग-अलग चुनाव होने से देश पर आर्थिक बोझ ज्यादा पड़ता है। लेकिन इतने कम समय में तमाम राज्यों के चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए तैयार होना और तमाम राजनीतिक दलों का इस मुद्दे पर समर्थन प्राप्त करना मुमकिन नहीं लगता है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड
दूसरी तरफ यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा हो रही है लेकिन, लॉ कमीशन जो इस मामले पर लोगों से विचार विमर्श कर रहा है। वह अभी बिल को लेकर अंतिम दौर में नहीं पहुंचा है। ऐसे में जल्दबाजी में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाया जाना संभव नहीं दिखता है।
क्या ये लोकसभा का आखिरी सत्र होगा?
क्या सरकार संसद के विशेष सत्र के जरिए, लोकसभा चुनाव में जाने का अपना माहौल तैयार करेगी? इसका मतलब यह होगा कि विपक्ष की तरफ से नीतीश कुमार और ममता बनर्जी लगातार, यह कह रहे हैं कि केंद्र सरकार, इंडिया गठबंधन के स्वरूप लेने से पहले ही चुनाव का ऐलान करना चाहती है। राजनीतिक तौर पर अपने आप को मजबूत दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह एक बेहतर स्थिति नहीं दिखती है।
महिला रिजर्वेशन या महिला रिप्रेजेंटेशन
पिछले कुछ समय से विपक्ष और सत्ता पक्ष की तमाम राज्य सरकार और केंद्र की मोदी सरकार, महिला सम्मान और महिला विकास के मुद्दों को लेकर ही योजनाओं की घोषणाएं कर रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बातों से यही लगता है कि दोनों पार्टियों 2024 का चुनाव महिलाओं को केंद्र में रखकर लड़ेगी। इसलिए महिला आरक्षण का मुद्दा भी चर्चा में आया है।
महिला आरक्षण का बिल मनमोहन सरकार लेकर आई थी और वह राज्यसभा में अभी भी लंबित है। इतना तय है कि कांग्रेस के लाए गए बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे नहीं बढ़ाएंगे। सूत्रों की माने तो महिलाओं को संसद में ज्यादा जगह देने के लिए केंद्र सरकार महिला रिप्रेजेंटेशन से जुड़े बिल सकती है। यह आसानी से संसद के दोनों सदनों में पास भी कराया जा सकता है।
दरअसल, देश में 150 के आसपास ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां 15 लाख से ज्यादा मतदाताओं की संख्या है। सूत्र बताते हैं कि इन 150 के करीब सीटों पर, एक सीट से दो सांसद चुने जाने की व्यवस्था हो सकती है। एक पुरुष और दूसरी महिला सांसद। इससे सांसदों का बड़ी आबादी की वजह से पड़ने वाला बोझ भी घटेगा और महिलाओं को रिप्रेजेंटेशन भी मिल जाएगा। इससे महिलाओं के हित के लिए काम करने वाले की छवि भी मोदी सरकार की बनेगी और इसके राजनीतिक लाभ भी है।