जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में मंगलवार को बहुत बड़ा आतंकी हमला किया गया। इस हमले में पर्यटकों को निशाना बनाया गया है, जिसमें 26 लोगों के मौत की खबर सामने आई है। इस हमले के तुरंत बाद गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में हाईलेवल बैठक बुलाई और इसके बाद वे दिल्ली से श्रीनगर पहंच गए। उनके साथ आईबी चीफ और गृहसचिव भी मौजूद हैं। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। साथ ही इस आतंकी हमले के मास्टरमाइंड का भी पता चल गया है। हमले के मास्टरमाइंड का नाम सैफुल्लाह खालिद बताया जा रहा है जो सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में काम कर चुके कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सहयोगी संगठन द्वारा निहत्थे पर्यटकों पर किया गया हमला घाटी में अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए इस्लामाबाद द्वारा उठाया गया एक हताशापूर्ण कदम का संकेत है।
‘टीआरएफ द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेना दिखावा’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व प्रमुख एसपी वैद ने कहा कि टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेना दिखावा है, क्योंकि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा का काम है। उन्होंने कहा, ‘स्थानीय आतंकवादी पर्यटकों पर हमला करने से डरते हैं। उन्हें पता है कि इसका उस जगह पर क्या असर होगा। इसमें कोई शक नहीं कि यह विदेशी आतंकवादियों का काम है, जिन्हें पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं ने भेजा है।’ तीन दशक से ज्यादा समय तक जम्मू-कश्मीर पुलिस में सेवा दे चुके वैद ने कहा कि ‘पहले स्थानीय और विदेशी आतंकवादी ज्यादातर अमरनाथ यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों पर हमला करते थे। लेकिन यह उनकी रणनीति में बदलाव है क्योंकि इससे घाटी की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। पर्यटक अपनी बुकिंग रद्द कर देंगे, होटल खाली हो जाएंगे। बाहर से आने वाले लोग कश्मीर आने से डरेंगे। पाकिस्तान यही चाहता है। कश्मीर में हर किसी को इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।’
‘भारत को इसका करारा जवाब देना चाहिए’
दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रमुख एसएन श्रीवास्तव, जिन्होंने सीआरपीएफ के जम्मू और कश्मीर जोन के प्रमुख के रूप में विशेष महानिदेशक के रूप में भी काम किया है, ने कहा कि निहत्थे पर्यटकों पर हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई की गई है। पर्यटकों पर यह ताजा हमला है, जिसकी सभी को निंदा करनी चाहिए। यह हमला कश्मीर में अपनी मौजूदगी को कायम रखने के लिए पाकिस्तान की ओर से हताशा को दर्शाता है। अतीत में कुछ मामलों को छोड़कर देखें तो पर्यटक हमेशा कश्मीर में सुरक्षित रहे हैं। पर्यटन औसत कश्मीरी के लिए आजीविका का स्रोत है।’ उन्होंने कहा कि भारत को इसका करारा जवाब देना चाहिए।
25-30 साल बाद पर्यटकों पर हुए हमले
वहीं, व्हाइट नाइट कोर (XVI कोर) के पूर्व सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के हिमालय सिंह (सेवानिवृत्त), जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में 5 कार्यकाल पूरे किए हैं, ने कहा कि लगभग 25-30 वर्षों के बाद पर्यटकों के खिलाफ हमले फिर से शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘1990 के दशक में आम नागरिकों पर आतंकवादियों द्वारा हमले के मामले सामने आए थे। पीड़ितों में से ज्यादातर पर्यटक हिंदू थे, लेकिन पिछले 25-30 वर्षों में यह सब लगभग बंद हो गया था। मंगलवार का हमला एक बहुत बड़ा बदलाव है। एक सैन्यकर्मी के रूप में मैं कह सकता हूं कि इसका जवाब दिया जाएगा। सेना की प्रतिक्रिया का स्तर सरकार पर निर्भर करेगा। सेना के पास सभी विकल्प हैं।’