जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ डिप्लोमैटिक स्ट्राइक की। इसके तहत भारत सरकार ने सिंधु जल समझौता सस्पेंड कर दिया, जिससे प्यास से पाकिस्तानियों की जान हलक में आ गई। शहबाज शरीफ की सरकार ने भारत से सिंधु जल समझौते के फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई।
सिंधु जल समझौता तोड़ने के बाद पाकिस्तान में पानी का संकट हो गया। इसे लेकर पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा ने भारतीय जल शक्ति मंत्रालय में सचिव देवश्री मुखर्जी को चिट्ठी लिखी और अपील की है कि भारत सिंधु जल समझौते पर फिर से विचार करे। चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि इस मामले पर भारत के साथ पाकिस्तान बातचीत करने के लिए तैयार है।
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पाकिस्तान ने भारत को लिखी चिट्ठी
सूत्रों ने बताया कि नियमानुसार भारतीय जल शक्ति मंत्रालय ने पाकिस्तान की चिट्ठी को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। बताया जा रहा है कि भारत को पाकिस्तान के साथ कोई हमदर्दी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता है।
पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु समझौता तोड़ा
साल 1960 में विश्व बैंक की अध्यक्षता में हुई भारत और पाकिस्तान के लिए सिंधु जल समझौता हुआ था। इस डील को पाकिस्तान की लाइफ लाइन माना जाता है। पानी के लिए पड़ोसी मुल्क की करीब 21 करोड़ से अधिक आबादी सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर रहती है। भारत ने 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में सिंधु समझौता नहीं तोड़ा था, लेकिन पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए यह बड़ा कदम उठाया।
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