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बच्चों के हाथ में मोबाइल थमाने से पहले जरा सोचें; इंटरनेट पर 87 फीसदी बढ़ा चाइल्ड एब्यूज का सामान

global-threat-assessment-report-2023: आजकल बच्चों में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। खासकर कोरोना संक्रमण काल के बाद तो ऑनलाइन पढ़ाई के चक्कर में इसमें बेतहाशा बढ़ातरी हुई है, लेकिन यह खतरनाक भी उतना ही है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Oct 21, 2023 15:17
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नई दिल्ली: मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर एक बेहद हैरान और परेशान कर देने वाली रिपोर्ट आई है। आप भी इस रिपार्ट पर नजा मारेंगे तो इसके बाद से बच्चों के हाथ में मोबाइल देने से तुरंत तौबा कर लेंगे। इंटरनेट वॉच फाउंडेशन की तरफ से बताया गया है कि दुनिया में नाबालिग बच्चों के द्वारा इंटरनेट पर अपने आप बनाई गई अश्लील सामग्री यानि फोटोज और वीडियो में 360 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। खास बात यह है कि इन बच्चों की उम्र भी कुछ ज्यादा नहीं, महज 7 से 10 साल के बीच बताई जा रही है।

  • दुनिया में लगभग 360 फीसदी बढ़ी 7-10 साल के बच्चों की स्व-निर्मित सेक्‍सुअल इमेजिनेशन

दरअसल, वी-प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस की तरफ से लगभग हर साल एक सर्वे किया जाता है। इसका लक्ष्य डिजिटल वर्ल्ड (इंटरनेट के इस्तेमाल) से होने वाले खतरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना है। हाल ही में जारी अलायंस की रिपोर्ट ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट 2023 में सामने आया है कि 2020 से 2022 तक दुनिया में 7-10 साल के बच्चों की स्व-निर्मित सेक्‍सुअल इमेजिनेशन लगभग 360 फीसदी बढ़ी है।इंटरनेट पर बाल शोषण सामग्री में 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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कोरोना काल के बाद बढ़ा ऑनलाइन सेक्सुअल हैरेसमेंट का खतरा

इस बात में कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ बरसों से बच्चों के हाथ में मोबाइल देखे जाने का चलन बढ़ा है। कोरोना संक्रमण काल के बाद तो हालात कुछ ज्यादा ही खतरनाक होते चले गए। हालांकि स्कूलों और ट्यूशन सेंटर्स की तरफ से ऑनलाइन स्टडी की व्यवस्था जीवन को बचाने के उद्दश्य लागू की गई थी, लेकिन इसके बाद इसका दुरुपयोग उससे कई गुणा तेजी से बढ़ा। लाखों लोगों ने बच्चों के लिए अलग से मोबाइल फोन और सिम कार्ड खरीदकर उसमें नेट रिचार्ज तक का इंतजाम किया। इसके बाद माता-पिता या अभिभावक अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त रहते तो बंदर के हाथ में आई बंदूक वाली स्थिति में आ चुके बच्चे इंटरनेट पर नई-नई चीजें देखने के चक्कर में गलत दिशा में चले जाने लगे।

We Protect ग्लोबल एलायंस ने की चौथी रिपोर्ट जारी

इसी अटपटे खतरे को लेकर अभिभावकों को सचेत करने के उद्देश्य से और बच्चों के ऑनलाइन सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामलों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से काम कर रही वी-प्रोटेक्ट ग्लोबल एलायंस की तरफ से हाल ही में अपनी चौथी वैश्विक खतरा आंकलन रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के आंकडों पर गौर करें तो पता चलेगा कि 2019 के बाद से रिपोर्ट की गई बाल यौन शोषण सामग्री में 87 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है। वैश्विक स्तर पर बाल शोषण के 3.2 करोड़ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

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AI  को माना जा रहा बड़ी वजह

जहां तक इसके पीछे के बड़े कारण की बात है, इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जिम्मेदार माना जा रहा है। वी-प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के शोषण के लिए बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। 2023 की शुरुआत में पीडोफिलिया सामग्री बनाने और बच्चों का शोषण करने के लिए जेनेरिक एआई का उपयोग करने वाले अपराधियों के मामले भी बढ़ रहे हैं।

भारी पड़ सकती है बच्चों को दी जा रही ढील

ऐसे में हमें सचते रहने की जरूरत है। अगर ऐसे ही बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन थमाकर ढील देते रहे तो हमें यह लापरवाही बहुत भारी पड़ सकती है। कब आपका बच्चा दुर्व्यवहार का शिकार हो जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। इसी के साथ यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दक्षिण भारत में साइबर क्राइम टीम ने एक बहुत बड़ा रैकेट बीते दिनों पकड़ा है, जिसके कनेक्शन दुबई तक भी जुडुे हुए हैं।

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Written By

Balraj Singh

First published on: Oct 21, 2023 01:31 AM

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