22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान में तनाव पैदा हुआ। भारत ने पाकिस्तान और POK में घुसकर आतंकी ठिकाने ध्वस्त किए। जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइल अटैक किए। पाकिस्तान के हमले का जवाब देते हुए भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान पर मिसाइल अटैक किए। पाकिस्तान में आतंकी और सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई में पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने के डैमेज होने और किराना हिल्स पर न्यूक्लियर रेडिएशन फैलने की खबरें सामने आईं। इसके बाद न्यूक्लियर रेडिएशन की चर्चा शुरू हुई तो भारत के दूसरे सबसे ऊंचे पर्वत नंदा देवी पर्वत का भी जिक्र हुआ, लेकिन सवाल यह है कि नंदा देवी पर्वत का न्यूक्लियर रेडिएशन से क्या कनेक्शन है? आइए इस पर विस्तार से बात करते हैं…
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नंदा देवी पर्वत
नंदा देवी पर्वत भारत में कंजनजंगा के बाद दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। भारत-नेपाल सीमा पर सीधे खड़े पर्वत की ऊंचाई 7824 मीटर (25663 फीट) है। नंदा देवी पर्वत दुनिया का 23वां सबसे ऊंचा पर्वत है। उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में पड़ने वाला यह पर्वत पूर्व में गौरीगंगा और पश्चिम में ऋषिगंगा की घाटियों के बीच फैला है। पर्वत के आस-पास बनाए गए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को 1988 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था।
पर्वत तक जाना बैन
नंदा देवी पर्वत तक किसी को जाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि इस पर्वत तक जाना प्रतिबंधित है। इस पर्वत को हमेशा के लिए इंसानों के लिए बैन कर दिया गया है। नंदा देवी अभयारण्य को 1983 में भारतीयों और पर्वतारोहियों के लिए हमेशा के लिए बैन कर दिया गया था। 1965 के बाद से पर्वत विदेशी समिट के लिए बंद है। आज इस पर्वत पर कोई ट्रैकिंग नहीं होती। बचाव दल को भी एक निश्चित सीमा से आगे जाने की अनुमति नहीं है।
Radiation breach confirmed in Pakistan
Civilians afflicted with severe nausea, cephalalgia, and emesis.
Government official acknowledged the incident — yet the military remains conspicuously silent.#NuclearLeak #radiation #DroneAttack#nuclear #KiranaHills pic.twitter.com/44rb6EZ2CO— Chaitali Mukherjee 🇮🇳 (@IamChaitali321) May 13, 2025
क्यों बैन है पर्वत तक जाना?
नंदा देवी पर्वत पर आधिकारिक प्रतिबंध को हाईलाइट करने के लिए पारिस्थितिक संरक्षण लिखकर बोर्ड लगाया गया है, लेकिन पर्वतारोहियों का कहना है कि पर्वत की यात्रा बैन करने का असली कारण एक प्रकार का रेडिएशन है, जो घातक है, लेकिन अभी शांत है और ग्लेशियर के नीचे फैल रहा है। यह ग्लेशियर गंगा नदी तक जाता है। वैज्ञानिकों को भी ऋषि गंगा ग्लेशियर के पास असामान्य विकिरण फैलने का पता लगा है।
कितना खतरनाक है रेडिएशन?
रेडिएशन एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ग्लेशियर में फैल रहा रेडिएशन धरती की सतह तक आया तो पर्यावरणीय तबाही को ट्रिगर कर सकता है। पर्वतारोहियों ने अकसर वर्जित क्षेत्र के पास जाने पर चक्कर आने, अजीब-सी थकान, और मतिभ्रम की शिकायत की है। वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि अगर नंदा देवी पर्वत किसी कारण से हिलता है, अगर रेडिएशन लीक होता है तो यह नीचे की नदियों को जहरीला बना सकता है, जो जानलेवा साबित होगा।
In 1965, to monitor if China was building an atomic bomb, India and US jointly tried to establish a nuclear radiation sensing station on Nanda Devi but… its generator was lost in an avalanche.
They succeeded 2 years later on Nanda Kot.
From Tanvi Madan’s ‘Fateful Triangle’. pic.twitter.com/c1HDNPJKy1— Krzysztof Iwanek (@Chris_Iwanek) March 17, 2024
क्या है नंदा देवी पर्वत में?
नंदा देवी पर्वत में एक रेडियोएक्टिव डिवाइस दफन हो गया था, जो आज भी एक्टिव है। दफन डिवाइस में उतना ही रेडियोधर्मी पदार्थ है, जितना हिरोशिमा पर फेंके गए परमाणु बम में था। यह डिवाइस 100 साल तक एक्टिव रह सकता है और अभी 60 साल हुए हैं। अगले 40 साल में कुछ भी हो सकता है। डिवाइस को पर्वत के अंदर से निकालना नामुमकिन है। डिवाइस को निकालने के लिए भेजे गए कई अभियान रास्ते से ही लौट आए। कई अभियान कभी वापस लौटकर ही नहीं आए। आज तक कोई शव भी नहीं मिला।
क्या हुआ था 1965 में?
1965 में भारत और चीन के बीच शीत युद्ध चल रहा था। चीन लगातार परमाणु परीक्षण कर रहा था। अमेरिका समेत कई देश चीन के परमाणु कार्यक्रमों को विफल करने में जुटे हैं। भारत ने भी अमेरिका के साथ मिलकर एक मिशन लॉन्च किया। नंदा देवी पर्वत पर जासूसी करने वाला एक उपकरण लगाने की योजना बनाई गई, जो एक प्रकार का जनरेटर था, जिसके अंदर रेडियोधर्मी पदार्थ, न्यूक्लियर फ्यूल के रूप में प्लूटोनियम के 7 कैप्सूल थे।
50 किलो से ज्यादा वजन वाले जनरेटर पर 10 फीट ऊंचा एंटीना लगा था। केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को इसे नंदा देवी पर्वत पर लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जब जासूसी उपकरण को नंदा देवी पर्वत पर ले जाया गया तो इसे पर्वत के शिखर पर स्थापित करने से पहले हिमस्खलन हो गया। हिमस्खलन में इसे लगाने गई टीम के सदस्य मारे गए और जासूसी उपकरण पर्वत के अंदर गहराई में समा गया, जो आज भी दबा है और एक्टिव मोड में है।
Nuclear radiation in Nanda Devi Glaciers – Read details https://t.co/8TFjTuJXpi
— RK Yadav Former R&AW Officer (@RKYadavExRAW) November 10, 2024