NDA Opposition I.N.D.I.A Alliance On New Old Pension Scheme: दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को नेशनल मूमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम यानि NMOPS के बैनर तले ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ हुई। महारैली में 20 राज्यों से लाखों कर्मचारी ‘पुरानी पेंशन स्कीम’ को लागू करने की मांग को लेकर जुटे थे। इस साल के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, ये मुद्दा विपक्ष के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। वहीं, भाजपा की अगुवाई वाले NDA के लिए ये गले की फांस बन सकता है। ओल्ड पेंशन स्कीम का जिन्न जब-जब बोतल से बाहर निकलता है, केंद्र सरकार की टेंशन बढ़ा देता है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को जब देशभर के सरकारी कर्मचारी इकट्ठा हुए, तो भीड़ को देखकर अन्ना हजार के उस आंदोलन की याद आ गई, जिस आंदोलन से कांग्रेस सरकार हिल गई थी। आंदोलन के बाद कांग्रेस को जनता ने केंद्र की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद भाजपा की अगुवाई वाली NDA केंद्र की सत्ता में आई, जो अब तक बरकरार है। एक बार फिर रामलीला का मैदान लोगों की भीड़ से पटा दिखा। लाखों की तादाद में पहुंचे इन सरकारी कर्मचारियों की मांग है कि पुरानी पेंशन स्कीम (दजे) लागू किया जाए।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर तेज हुई ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पुरानी पेंशन यानी OPS की मांग तेज हो गई है। दिल्ली के रामलीला मैदान में एक दिन पहले हुई महारैली में देश भर से लाखों शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। महारैली में जुटे लोगों का कहना था कि अगर नेता पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ ले सकते हैं तो फिर सरकारी कर्मचारियों को ये लाभ आखिर क्यों नहीं दिया जा रहा है? उन्होंने कहा कि एक देश, दो विधान नहीं चलेगा। जब देश के पांच राज्यों में OPS लागू हो सकता है तो पूरे देश में क्यों नहीं?
सरकारी कर्मचारियों के मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा
इस साल देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, जिसके तुरंत बाद 2024 का आम चुनाव होना है। ऐसे समय में इस तरह के आंदोलन सरकार के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जातिगत जनगणना और पुरानी पेंशन योजना की मांग प्रमुख मुद्दा बन चुका है। लाखों की संख्या में मौजूद किसान, कर्मचारी मोदी सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम के बहाली की मांग कर रही है। वहीं विरोधी पार्टियां खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी लगातार सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार पूंजीपतियों को लाभ दे सकती है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों को पैसे देने के लिए उनके खजाने खाली हैं।
आखिर क्या है पुरानी पेंशन योजना, नई से कितनी अलग?
पुरानी पेंशन योजना के तहत 2004 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को दी जाती है। इस पेंशन योजना के तहत एक निश्चित राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। यह राशि कर्मचारियों के रिटायरमेंट के वक्त वेतन के आधार पर तय किया जाता था। वहीं 2004 से रिटायर हुए सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जाता है। ऐसे में आपके भी मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पुरानी पेंशन योजना है क्या और नई पेंशन योजना से कैसे अलग है?
- पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय मिल रहे वेतन की आधी रकम पेंशन के रूप में दी जाती है। वहीं नई पेंशन स्कीम में पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन सैलरी से नहीं कटती थी। वहीं नई पेंशन योजना में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी हिस्सा कटता है।
- पुरानी पेंशन स्कीम जल्द नौकरी छोड़ने पर भी लागू होती थी, जबकि नई पेंशन स्कीम में सैलरी से कटी राशि ही मिलेगी।
- पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर 16.5% ग्रेच्युटी मिलती थी। नई पेंशन योजना (NPS) में भी ग्रेच्युटी का प्रावधान अभी भी है।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) में नौकरी के दौरान मृत्यु पर 20 लाख मिलते थे। NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में मृतक के आश्रित को नौकरी का प्रावधान था, NPS में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
जानें देश के किन पांच राज्यों में लागू है OPS?
देश के पांच राज्यों में OPS यानी पुरानी पेंशन योजना लागू हैं। मतलब ये कि इन राज्यों के कर्मचारियों को OPS के तहत हर महीने बिना किसी कटौती के पेंशन का लाभ मिलेगा। इन पांच में से 3 राज्यों में कांग्रेस, एक में झारखंड मुक्ति मोर्चा+कांग्रेस, जबकि एक में आम आदमी पार्टी की सरकार है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम लागू हैं और यहां कांग्रेस की सरकार है। वहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन लागू है और कांग्रेस सत्ता पर काबिज है। वहीं झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है जिसमें सहयोगी दल कांग्रेस भी है और पांचवां राज्य पंजाब है, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है।
पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करने को लेकर केंद्र का क्या है तर्क?
पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार का तर्क है कि अगर OPS बहाल कर दी गई तो फिर सरकार पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर नीति आयोग का तर्क है कि राज्यों के पास OPS के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। आखिर में पुरानी पेंशन का भार केंद्र पर आएगा, जिसका भार आम नागरिकों पर पड़ना तय है।
नीति आयोग का ये भी तर्क है कि मूलभूत सुविधाओं में कटौती करनी पड़ सकती है। ऐसे में कर्ज तले दबे राज्य नए भार को कैसे उठाएंगे? राज्यों को वित्तीय अनुशासनहीनता की छूट न हो और फ्री की घोषणा से पहले राज्य को अपने संसाधनों को देखने की जरूरत है। साथ ही ये भी तर्क दिया जा रहा है कि संसद में पेश हुए कानून का उल्लंघन ठीक नहीं है।