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Navika Sagar Parikrama II की टीम लौटी भारत, केवल दो महिलाओं ने दुनिया का चक्कर लगाकर पूरी की 8 महीने की अनोखी समुद्री यात्रा

दो बहादुर महिलाओं ने समुद्र की लहरों को मात देकर इतिहास रच दिया। भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना ने अकेले दो लोगों की टीम में 8 महीने में दुनिया का चक्कर लगाया। उनका यह साहसिक सफर देश के लिए गर्व की बात है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: May 27, 2025 21:31
Navika Sagar Parikrama II
Navika Sagar Parikrama II

भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारी, लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना ने एक शानदार इतिहास रचा है। उन्होंने नौसेना के जहाज INS तारिणी पर अकेले दो लोगों की टीम में आठ महीने की लंबी समुद्री यात्रा पूरी करके दुनिया का चक्कर लगाया। यह यात्रा न सिर्फ साहस और धैर्य की मिसाल है, बल्कि महिलाओं की शक्ति और देश की समुद्री ताकत का भी परिचय देती है। 25,400 नौटिकल मील की इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में उन्होंने कई मुश्किल हालातों का सामना किया और भारत का नाम दुनियाभर में रोशन किया।

नौसेना की महिला अधिकारियों ने पूरा किया विश्व चक्कर

भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों की टीम ने एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है। ‘लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए’ और ‘लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के’, (Lt Cdr Roopa A and Lt Cdr Dilna K) ने भारतीय नौसेना के जहाज INS तारिणी पर लगभग आठ महीनों में 25,400 नौटिकल मील (लगभग 50,000 किलोमीटर) की यात्रा पूरी कर दुनिया का चक्कर लगाया। यह यात्रा 2 अक्टूबर 2024 को गोवा के नेवल ओशियन सेलबिंग नोड से शुरू हुई थी और अब ये वीरांगनाएं 29 मई 2025 को गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर पहुंचेंगी और इस यात्रा को नाविका सागर परिक्रमा II नाम दिया गया है। यह पहली दफा है जब सिर्फ दो लोगों ने इतनी लंबी दूरी को जहाज के जरिए पूरा किया है, जिसे भारतीय नौसेना और देश के लिए गर्व की बात माना जा रहा है।

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रक्षा मंत्री करेंगे भव्य स्वागत

इस खास यात्रा का स्वागत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। यह स्वागत समारोह मोरमुगाओ पोर्ट पर होगा, जहां इस कामयाबी को सम्मान दिया जाएगा। इस यात्रा का मकसद भारत की समुद्री ताकत और नौसेना की मजबूती को दिखाना है। इस अभियान का नारा था, ‘साहसी दिल, अपार समुद्र’। यह नारा नारी शक्ति और भारत की समुद्री महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। इस नौसेना यात्रा में महिलाओं ने अपने हिम्मत, धैर्य और काबिलियत से देश की नारी शक्ति को एक नई पहचान दी है।

ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भी किया सम्मानित

इस यात्रा के दौरान #दिलरू नाम की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के फ्रेमेंटल, न्यूजीलैंड के लिटलटन, फॉकलैंड द्वीप के पोर्ट स्टेनली और दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में रुककर वहां के लोगों से मिली। उन्होंने कई जगह कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और भारतीय प्रवासी, सांसद, स्कूल के बच्चे और नौसेना के जवानों से मिले। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भी उन्हें सम्मानित किया। इस सफर में उन्हें तेज हवा, बवंडर और ठंडी हवा का सामना करना पड़ा। खासकर लिटलटन से पोर्ट स्टेनली तक का रास्ता बहुत मुश्किल था क्योंकि वहां उन्हें तीन बार बड़े तूफान का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने ड्रेक पैसिज और केप हॉर्न भी पार किया।

महिला सशक्तिकरण और भारतीय नौसेना की नई मिसाल

रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इन दोनों नौसेना अधिकारियों को बधाई दी थी और महिलाओं की भूमिका को राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम बताया था। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने भी इस जोड़ी के साहस, प्रोफेशनलिज्म और टीम वर्क की प्रशंसा की। यह यात्रा न केवल भारतीय नौसेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यह दिखाता है कि भारतीय महिलाएं साहस, समर्पण और कौशल में किसी से कम नहीं हैं। भारतीय नौसेना की यह पहल महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। इस सफल समुद्री यात्रा ने भारत के समुद्री इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है और भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।

First published on: May 27, 2025 08:36 PM

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