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National Anthem Day: राष्ट्रगान बनने से पहले एक स्कूल में गाया जाता था ’जन गण मन’, जानें कैसे हुआ लोकप्रिय?

National Anthem Day: भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पहली बार 27 दिसंबर वर्ष 1911 को गाया गया था। मौका था, कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन का। आपको बता दें कि ‘जन गण मन’ बंगाली भजन ‘भारतो भाग्यो बिधाता’ का पहला छंद है और इसकी रचना नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। इस गीत […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Dec 28, 2022 15:13
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National Anthem Day: भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पहली बार 27 दिसंबर वर्ष 1911 को गाया गया था। मौका था, कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन का। आपको बता दें कि ‘जन गण मन’ बंगाली भजन ‘भारतो भाग्यो बिधाता’ का पहला छंद है और इसकी रचना नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी।

इस गीत को रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी ने कुछ स्कूली छात्रों के साथ मिलकर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष बिशन नारायण, भूपेंद्र नाथ बोस और अंबिकाचरण मजुमदार जैसे बड़े नेताओं के सामने गाया था। वर्ष 1919 में टैगोर ने इस गीत के कुछ मापदंड निर्धारित किए थे, जिसका पालना आज भी किया जाता है।

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नेता जी की भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भी गाया 

वर्ष 1941 में इस गीत के एक और संस्करण को सुभाष चंद्र बोस की ‘भारतीय राष्ट्रीय सेना’ ने अपने राष्ट्रगान के रूप में अपनाया था, जिसे ‘शुभ सुख चैन’ कहा गया। इसके बाद तो इसकी लोकप्रियता पूरे भारत में फैल गई। 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से जब राष्ट्र को संबोधित किया था, उस समय आईएनए के कैप्टन थंकुरी को उनके आर्केस्टा समूह के साथ इस गीत को बजाने के लिए आमंत्रित किया गया था।

विविधता में एकता की झलक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 24 जनवरी वर्ष 1950 को इस गीत के हिंदी संस्करण को संविधान सभा की ओर से भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था। सबसे रोचक बात यह है कि इस गीत में भारत के सभी प्रांतों, भाषाओं और धर्मों के संघ का उल्लेख है। इसी दिन संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ‘वंदे मातरम्’ को भी राष्ट्रगीत घोषित किया था।

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समय-समय पर जारी होते हैं निर्देश

राष्ट्रगान के औपचारिक गायन में लगभग 52 सेकंड का समय लगता है। बता दें कि राष्ट्रगान बनने से पहले इसे 1945 की फिल्म ‘हमराही’ में सुना गया था। इससे पहले देहरादून करे दून स्कूल में भी 1935 में इसे एक गीत के रूप में गाया जाता था। राष्ट्रगान को कई अवसरों पर गाया जाता है और समय-समय पर इससे जुडे़ कई दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं।

संविधान के इस अनुच्छेद में लिखा है ये

इस गान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए सभी भारतीयों को मौलिक कर्तव्यों में बताया गया है कि किस प्रकार इस गीत के प्रति मर्यादा में रहते हुए सम्मान प्रकट करना है। संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में बताया गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।

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First published on: Dec 27, 2022 05:36 PM

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