---विज्ञापन---

NISAR Mission: नासा-इसरो के ज्वॉइंट सैटेलाइट ‘निसार’ का निर्माण अंतिम चरण में, जानें क्या है ये मिशन?

NISAR Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक संयुक्त मिशन ‘निसार’ पर एक साथ काम कर रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसियां उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके पृथ्वी की पपड़ी में होने वाले बदलावों को करीब से देखेंगी। इस मिशन की तैयारियां चल रही हैं। इस मिशन […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Feb 4, 2023 11:56
Share :
NISAR mission

NISAR Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक संयुक्त मिशन ‘निसार’ पर एक साथ काम कर रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसियां उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके पृथ्वी की पपड़ी में होने वाले बदलावों को करीब से देखेंगी। इस मिशन की तैयारियां चल रही हैं।

इस मिशन के तहत एजेंसियां वातावरण में उच्च रिजोल्यूशन में बदलाव का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में एक अंतरिक्ष यान लॉन्च करेंगी। नासा के अनुसार, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के डिकैडल सर्वे के हिस्से के रूप में 30 सितंबर, 2014 को एजेंसियों की ओर से पृथ्वी-अवलोकन मिशन पर सहमति व्यक्त की गई थी।

और पढ़िए – वैष्णो देवी मंदिर के पास लगी आग, टला बड़ा हादसा

नासा के सोशल मीडिया पोस्ट में जानकारी दी गई है कि नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी आज (4 फरवरी) शाम 5 बजे एक प्रश्न और उत्तर का सेशन आयोजित करेगी, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ मिलकर बनाए गए पृथ्वी-मानचित्रण उपग्रह NISAR (NASA-ISRO SAR) पर चर्चा की जाएगी।

और पढ़िए – फ्लाइट में देरी को लेकर SpiceJet के स्टाफ और यात्रियों के बीच तीखी नोकझोंक

जानें क्या है नासा और इसरो का ज्वॉइंट ‘निसार’ मिशन

NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) के लिए एक संक्षिप्त मिशन को पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र, गतिशील सतहों और बर्फ के द्रव्यमान को मापने, प्राकृतिक खतरों, समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूजल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए लॉन्च किया जाएगा।

नासा के अनुसार, सैटेलाइट को 747 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा और इसकी आयु तीन साल होगी। मिशन के दौरान, सैटेलाइट विश्व स्तर पर पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढकी सतहों का निरीक्षण करेगा और हर छह दिनों में नमूना लेगा।

सैटेलाइट मूल रूप से दुनिया के सबसे खतरनाक क्षेत्रों को स्कैन करेगा और सरकारों को उन विनाशकारी घटनाओं के लिए पहले से तैयारी करने में मदद करने के लिए डेटा प्रदान करेगा। नासा का कहना है, “जल संसाधन निगरानी, ​​अवसंरचना निगरानी और अन्य मूल्य वर्धित अनुप्रयोगों में भी इन आंकड़ों तक पहुंच से क्रांति आ जाएगी।”

NISAR हमारे ग्रह की सतह में एक सेंटीमीटर से कम के परिवर्तन को मापने के लिए दो अलग-अलग रडार आवृत्तियों (एल-बैंड और एस-बैंड) का उपयोग करने वाला पहला सैटेलाइट मिशन होगा। एक अनुमान के मुताबिक नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह को बनाने में एक बिलियन डॉलर से अधिक का खर्च हुआ है। ये दुनिया में अब तक का सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट है।

और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें

First published on: Feb 04, 2023 10:40 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें