PM Narendra Modi 3.0 Challenges: 18वीं लोकसभा का गठन हो गया है। BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की लगातार तीसरी बार सरकार बनी है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। पिछले 2 कार्यकाल में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, लेकिन इस बार भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। सरकार बनाने के लिए 32 सीटों की जरूरत पड़ी, जो बिहार की JDU और आंध्र प्रदेश की TDP ने दी। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहयोग से मोदी की तीसरी सरकार पूरी हुई।
क्योंकि पिछले 2 कार्यकाल में मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए। कई उपलब्धियां हासिल कीं, ऐसे में तीसरी सरकार से उम्मीदें और भी ज्यादा हैं। नरेंद्र मोदी भी कहते आए हैं कि 10 साल का कार्यकाल तो ट्रेलर था, फिल्म देखनी अभी बाकी है, लेकिन इसमें भी कोई दोराय नहीं कि अबकी बार मोदी सरकार के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं। मोदी सरकार की राह पूरी तरह से कांटों भरी है। आइए मोदी सरकार की चुनौतियों पर बात करते हैं…
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सहयोगी दल
बीते दिन नरेंद्र मोदी के साथ 72 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 11 मंत्री तो सहयोगी दलों के हैं। ऐसे में मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह 11 मंत्री रहेंगे, क्योंकि मोदी कैबिनेट को कोई भी फैसला लेने, कोई योजना और प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इनकी सहमति लेनी होगी। वहीं अब प्रधानमंत्री मोदी की करीबी और चहेते लोग मंत्री, गवर्नर, अधिकारी, चेयरमैन नहीं बन पाएंगे। सहयोगी दलों के लोगों की सहमति, उनके लोगों को महत्व देना होगा। इससे टकराव की स्थिति बन सकती है।
मजबूत विपक्ष
मोदी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती मजबूत विपक्ष रहेगा, जिसके 234 सांसद हैं। ऐसे में मोदी सरकार को विपक्ष को भी साथ लेकर चलना होगा, नहीं तो उनका विरोध सत्ता पक्ष पर भारी पड़ सकता है।
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3 राज्यों में विधानसभा चुनाव
भाजपा की गठबंधन सरकार के लिए तीसरी बड़ी चुनौती 3 राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव जीतना रहेगी। अगर इन चुनाव में भाजपा कहीं भी कमजोर पड़ी तो गठबंधन दल दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
8 मुद्दों पर टकराव संभव
मोदी सरकार की चौथी सबसे बड़ी चुनौती 8 मुद्दे होंगे, जिन पर सहयोगी दल असहमत हो सकते हैं। यह मुद्दे हैं- यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), मुस्लिम आरक्षण, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट में बदलाव, वन नेशन वन इलेक्शन, वक्फ बोर्ड का खात्मा, CAA, जातिगत जनगणना और विशेष राज्य का दर्जे।
UCC सबसे बड़ा चैलेंज
मोदी सरकार को UCC और मुस्लिम आरक्षण पर सहयोगी दलों का विरोध झेलना होगा। सरकार बनने से पहले ही इन पर टकराव शुरू हो चुका है। सहयोगी दल इन दोनों के विरोधी हैं। BJP पर इन्हें लागू करने के लिए RSS दबाव डाल रही है, जबकि सहयोगी दल इन्हें लागू करने के पक्ष में नहीं हैं।
नीतीश-नायडू कभी भी दे सकते हैं धोखा
मोदी सरकार का सबसे बड़ा डर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू रहेंगे, क्योंकि यह दोनों कभी भी पलट सकते हैं। नीतीश कुमार ने NDA को दिए समर्थन पत्र पर 2 बार सिग्नेचर किए हैं, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि नीतीश कुमार के पास INDIA अलायंस से डिप्टी PM बनने का ऑफर है। अगर मोदी सरकार में गतिरोध की स्थिति बनी तो नीतीश साथ छोड़ सकते हैं। चंद्रबाबू की भी यही स्थिति है। दोनों पहले भी BJP NDA का साथ छोड़ चुके हैं।
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