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MIG-21: लड़ाकू विमान मिग-21 की सेवाएं खत्म, 62 साल बाद भारतीय वायुसेना देगी विदाई

MIG-21 Aircraft Services Ends: लड़ाकू विमान मिग-21 वायुसेना से विदा हो रहे हैं। उन्हें सितंबर 2025 में 62 साल बाद विदा कर दिया जाएगा। उनकी जगह अब मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले लड़ाकू विमान लेंगे। आइए मिग-21 विमानों का इतिहास, उपलब्धियां और खासियतें जानते हैं...

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Jul 22, 2025 13:35
MIG 21 | Fighter Jets | Indian Air Force
मिग-21 विमान पिछले 62 साल से देशसेवा में योगदान दे रहे हैं।

MIGMIG-21 Aircraft Services Ends: भारतीय वायुसेना (IAF) में मिग-21 लड़ाकू विमानों की सेवाएं खत्म होंगी।। सितंबर 2025 में वायुसेना लड़ाके विमानों को चंडीगढ़ एयरबेस से विदाई देगी। मिग-21 के 1.5 स्क्वाड्रन को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त किया जाएगा। 62 साल से लड़ाकू विमान वायुसेना में सेवाएं दे रहे थे, लेकिन अब उनकी जगह आधुनिक लड़ाकू विमान जैसे तेजस Mk1A लेंगे। रक्षा मंत्रालय ने 97 और विमानों की खरीद को मंजूरी दी है। बता दें कि वर्तमान में, मिग-21 की केवल 3 स्क्वाड्रन (बाइसन वैरिएंट) सक्रिय हैं, जिन्हें अब हटा लिया जाएगा।

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क्यों लिया गया रिटायर करने का फैसला?

बता दें कि मिग-21 लड़ाकू विमान वर्ष 1964 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने थे। विमानों ने भारत के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के रूप में एंट्री की थी। 1965 और 1971 के युद्धों में भारत को जीत दिलाने में इन विमानों ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन मिग-21 को ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा था, क्योंकि इन लड़ाकू विमानों के साथ कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई पायलटों ने जान गंवाई है। हादसों को देखते हुए ही इन विमानों की उड़ान पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी। हादसों और पुराने डिजाइन के कारण ही इन विमानों को सेवानिवृत्त करने का फैसला लिया गया है।

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क्या है मिग-21 लड़ाकू विमान की खासियत?

मिग-21 लड़ाकू विमान सुपरसोनिक लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने बनाया था। इस विमान की मैक्सिमम स्पीड करीब 2230 किलोमीटर प्रति घंटा है और इससे ज्यादा स्पीड विमान के मॉडल पर निर्भर करती है। यह विमान अपने समय के सबसे तेज विमान हुआ करते थे, लेकिन यह विमान वजन में हल्के हैं और इनका डिजाइन भी कॉम्पैक्ट था। इन विमानों का वजन करीब 8000 से 9000 किलोग्राम के बीच था, जो लोड पर निर्भर करता था। यह छोटे आकार के डेल्टा विंग डिजाइन वाले विमान थे, इसलिए हवाई युद्ध के लिए फायदेमंद थे।

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कौन-कौन से हथियार ले जाने में है सक्षम?

शुरुआती मिग-21 विमानों में तमंस्की टर्बोजेट इंजन का R-11 मॉडल इंस्टॉल था, जिसे बाद में R-13 या R-25 मॉडल से रिप्लेस किया गया। यह इंजन में हाई लेवल का थ्रस्ट था, जिस वजह से विमान तेजी से उड़ान भर सकते थे और ऊंचाई तक पहुंच सकते थे। इस विमान में 23 MM या 30 MM की ऑटोमैटिक तोप, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (जैसे R-60, R-73) और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें, अलग-अलग डिजाइन के बम और रॉकेट पॉड्स ले जाने की क्षमता है। वह विमान 1300 से 2000 किलोग्राम तक के वजन वाले हथियार ले जाने में सक्षम हैं।

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किस तरह की टेक्नोलॉजी से लैस हैं विमान?

विमान करीब 1470 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर सकते हैं। फ्यूल टैंक के साथ इस दूरी को बढ़ाया जा सकता था। यह विमान 17800 मीटर (58400 फीट) की सर्विस सीलिंग के साथ हवाई युद्ध लड़ने में सक्षम हैं। विमान के शुरुआती मॉडल में रडार और एवियोनिक्स थे, लेकिन बाद के मॉडल मिग-21 बाइसन में आधुनिक रडार फजोट्रॉन Kopyo और मॉडर्न नेविगेशन सिस्टम इंस्टॉल किए गए। विमानों के बाइसन वैरिएंट में मल्टी-मोड रडार, हेड्स-अप डिस्प्ले (HUD) और मॉडर्न ट्रैकिंग सिस्टम लगे थे। मिग-21 का इस्तेमाल हवाई युद्ध, जमीनी हमलों और टोही मिशन के लिए किया गया।

First published on: Jul 22, 2025 01:02 PM

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