Manthan 2025 : नोएडा स्थित isomes सभागार में मंथन 2025 कार्यक्रम का आगाज हुआ। कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को isomes सम्मान से सम्मानित किया गया। इस दौरान News 24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से एक्सक्लूसिव बातचीत की, जिसमें गडकरी ने कई सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने जीवन में पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य को देनी चाहिए। पैसा तो सिर्फ एक साधन है। आइए जानते हैं नितिन गडकरी ने इस बातचीत में और क्या-क्या कहा?
सवाल- आपको कई चीजों में बड़ी महारत कैसे हासिल हुई, युवा छात्रों के लिए आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब- नितिन गडकरी ने कहा कि कोविड से पहले उनके जीवन में अनुशासनहीनता थी। पहले उनका वजन 135 किलो था, लेकिन अब 90 किलो है। कोविड ने उनके जीवन को बदल दिया। पहली प्राथमिकता अपने हेल्थ को दीजिए। नागपुर से दिल्ली आने से पहले तीन घंटे तक एक्सरसाइज की। दूसरी प्राथमिकता- वेल्थ। पैसा जीवन का साध्य नहीं, साधन है। ये सोचिए कि भगवान ने आपको हैसियत से ज्यादा दिया है, इसलिए अस्वस्थ मत रहिए, खुश रहिए। जो व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचता है, वह खुश रहता है। भविष्य के बारे में चिंता मत कीजिए, सिर्फ काम करते रहिए।
सवाल- आप कहते हैं कि आप प्रोफेशनल पॉलिटिशियन नहीं हैं, तो ये कैसा संभव है?
जवाब- मैं तीसरी बार लोकसभा का सदस्य हूं और हमारे देश में मत विभिन्नता यह समस्या नहीं है, बल्कि विचार शून्यता यह समस्या है। मैं जातिवाद नहीं मानता हूं। मैंने कहा था कि जो करेगा जाति की बात, उसे मारूंगा कस के लात। मेरे साथ के लोगों ने कहा कि इस बयान से बड़ी अड़चन आएगी। इस पर उन्होंने कहा कि जबतब अच्छा लगे वोट दीजिएगा, नहीं तो मुझे बदल दीजिएगा। जब मैं 10वीं में था, तब 1975 में इमरजेंसी लगी थी। उस समय माता-पिता सब अड़चन में थे, तब मैं जयप्रकाश के कहने पर राजनीति में आया। मुझे दो लोग अच्छे मिले, एक जॉर्ज फर्नांडिस और दूसरा अटल बिहारी वाजपेयी। मैं सिर्फ लोगों की सेवा करता हूं।
सवाल- क्या आपने कंगना रनौत की इमरजेंसी फिल्म देखी?
जवाब- बहुत सुंदर फिल्म है। कंगना ने इंदिरा गांधी की शानदार किरदार निभाई। मैं इमरजेंसी से जुड़ा रहा, इसलिए इस फिल्म ने मुझे अपनी ओर खींचा।
सवाल- रील और रियल इमरजेंसी में क्या अंतर है?
जवाब- इस फिल्म में इंदिरा गांधी की एक अच्छी साइड भी बताई गई है। इस फिल्म में इमरजेंसी का इतिहास बताया गया है। यह पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी फिल्म है। कंगना की फिल्म को जरूर देखिएगा।
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि अंग्रेज हमेशा एक डायरी लिखते थे। हम कितना भी अच्छा काम कर लें, लेकिन लिखते नहीं हैं। मुझे 10वीं में 52 प्रतिशत मार्क मिले थे और साइंस में 49.26 प्रतिशत नंबर मिले। परिजनों की इच्छा थी कि मैं इंजीनियर बनूं, लेकिन 50 प्रतिशत से कम नंबर मिलने की वजह से वे इंजीनियरिंग कॉलेज से डिस्क्वालिफाई हो गए। इसकी वजह से आज भी मैं अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगता हूं। हालांकि, मुझे अबतक 11 डी लिट की उपाधियां मिल चुकी हैं।
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सवाल- क्या इमरजेंसी में अच्छे काम हुए?
जवाब- मैंने यह नहीं कहा कि इमरजेंसी में अच्छे काम हुए। मैंने कहा कि फिल्म में अच्छे काम हुए हैं। इमरजेंसी में सिर्फ गलत काम ही हुए और लोकतंत्र को समाप्त किया गया। काफी रिसर्च के बाद फिल्म बनाई गई। कोई भी भूतकाल के इतिहास को वर्तमान काल में इसलिए समझना चाहिए, ताकि हम ऐसी कोई गलती बिना दोहराए आगे भविष्य काल में बढ़ते रहें।
सवाल- क्या देश फिर जात-पात की ओर लौट रहा?
जवाब- कोई भी व्यक्ति जाति या धर्म से बड़ा नहीं होता है, बल्कि अपने गुणों से बड़ा होता है। जात-पात, ऊंच-नीच बुरी बात है, ये समाज से खत्म होना चाहिए। लोगों को मूलभूत सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए।
सवाल- क्या आपको भी सिद्धांतों से समझौता करना पड़ा?
जवाब- मैं राजनीति में हूं, इसलिए बहुत बार समझौता करना पड़ता है। जात-पात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं एयरपोर्ट अकेले जाता हूं। मैं किसी को माला नहीं पहनाता हूं। अगर कोई मुझे माला पहनाता है तो मैं उसे डांट देता हूं। मैं इस चुनाव में पोस्टर नहीं लगाया था। मैंने काम किया है। अगर लोगों को मेरा काम अच्छा लगेगा तो वोट देंगे। किसी चीज का अहंकार नहीं होना चाहिए। बड़े लोगों का व्यवहार एकदम अलग होता है। जैसे बिल गेट्स और अमिताभ बच्चन काफी विनम्र और शालीन व्यक्ति हैं। रतन टाटा को भी कभी अपनी संपत्ति का अहंकार नहीं था।
सवाल- सड़क दुर्घटना की घटनाएं कैसे कम हो सकती हैं?
जवाब- पिछले 10 सालों में मेरे विभाग को हर क्षेत्र में सफलता मिली और इस क्षेत्र में असफलता मिली। मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। 180000 लोग मरते हैं। 66 प्रतिशत 18 से 34 साल की उम्र के युवा हैं। 30 हजार लोग इसलिए मर रहे हैं कि वो हेलमेट नहीं पहनते हैं। 10 हजार बच्चे इसलिए मर रहे हैं कि उनके स्कूल के सामने एंट्री-एग्जिट की व्यवस्था नहीं है। इस मामले को लेकर रोड इंजीनियरिंग में सुधार किया जा रहा है। रूल्स ऑफ रोड के डर और सम्मान से हादसे कम हो जाएंगे।
सवाल- क्या आपको फिर बीजेपी अध्यक्ष की कमान मिल सकती है?
जवाब- ये होने की संभावना नहीं है और मैं भी बनना नहीं चाहता हूं।
सवाल- रोड प्रोजेक्ट रोकने वालों के साथ आपका कैसा व्यवहार रहता है?
जवाब- मैं जो रोड बना रहा हूं, उसके मालिक आप हैं। ठेकेदार काम के लिए पैसे लेते हैं। ऐसे में प्रोजेक्ट में कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। क्वालिटी के साथ समझौता नहीं। अगर उसमें कोई गड़बड़ी हुई तो उसके लिए वे जिम्मेदार होंगे।