Lok Sabha Election 2024 Winning Candidate Deposit Confiscated: अभी तक आपने चुनाव में हारे हुए उम्मीदवारों का जमानत जब्त होने की बात सुनी होगी, लेकिन अगर आपसे यह कहा जाए कि जीतने वाले उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हुई तो क्या आप विश्वास करेंगे? जी हां, यह सच है। दरअसल, ऐसा 1952 में हुआ है, जब जीतने वाले प्रत्याशी की भी जमानत जब्त हो गई थी। आखिर इसकी क्या वजह थी, आइए जानते हैं…
सगड़ी पूर्वी विधानसभा सीट का मामला
दरअसल, 1952 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की सगड़ी पूर्वी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव की जीत दर्ज करने के बाद भी जमानत जब्त हो गई थी। उन्हें 4969 वोट मिले थे, जबकि हारने वाले निर्दलीय उम्मीदवार शंभू नारायण को 4348 वोट मिले। इस सीट पर कुल 83 हजार 438 मतदाता पंजीकृत थे।
फिर एक बार, मोदी सरकार
श्री दिनेश लाल यादव ' निरहुआ ' को आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव प्रत्याशी बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं pic.twitter.com/hN6jleMNih
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कांग्रेस प्रत्याशी की जीतने के बाद भी क्यों जब्त हो गई जमानत?
किसी भी उम्मीदवार को अपनी जमानत जब्त होने से बचाने के लिए कुल पड़े वोटों का 6 प्रतिशत वोट हासिल करना जरूरी होता है। कांग्रेस प्रत्याशी की जीत तो जरूर हुई, लेकिन वे जरूरी 6 प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाए। इसलिए उनकी जमानत जब्त हो गई।
क्या होती है जमानत?
दरअसल, चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को चुनाव आयोग के पास एक निश्चित सुरक्षा राशि जमा करनी होती है। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए यह रकम 25 हजार रुपये, जबकि विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए 10 हजार रुपये होती है। प्रत्याशी की जमानत जब्त होने पर यह राशि राजकोष में चली जाती है।
इस बार आजमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त होगी। pic.twitter.com/Ev5DEu0CgC
— Rishabh Yadav (@Rishabhji1200) February 28, 2024
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लोकसभा चुनाव 1977 में 100 प्रत्याशियों की जब्त हुई जमानत
अगर जमानत बचाने वाले उम्मीदवारों की बात की जाए तो राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहतर है। पहले लोकसभा चुनाव 1951-52 में राष्ट्रीय दलों के 1217 प्रत्याशियों में से 344 की जमानत जब्त हुई थी। वहीं, 1977 में 1060 में से केवल 100 उम्मीदवार ही अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे, जबकि 2009 में 1623 उम्मीदवारों में से 779 की जमानत जब्त हो गई थी।
कब-कितने प्रत्याशियों की जमानत हुई जब्त?
1951-52 के आम चुनाव में 40 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद 1980 में 74 प्रतिशत, 1991 में 86 प्रतिशत, 1996 में 91 प्रतिशत, 1997 में 56 प्रतिशत, 2009 में 85 प्रतिशत और 2019 में 86 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
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