दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
Lok Sabha Election 2014 NDA Vs INDIA : लोकसभा चुनाव सामने है। एनडीए (NDA) और इंडिया (INDIA), यही दो प्रमुख गठबंधन फिलहाल मैदान में हैं। कुछ दल ऐसे भी हैं, जो इन दोनों ही गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। वे आम चुनाव में स्वतंत्र तरीके से मैदान में होंगे। एनडीए के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा संसद में दे दिया है तो विपक्ष केवल मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने की प्रतिबद्धता बार-बार दोहराता तो दिखता है, लेकिन उस दिशा में उसके प्रयास अनेक बार विफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। आइए, जानते हैं कि जब आम चुनाव में कुछ महीने ही शेष हैं तो आखिर दोनों प्रमुख गठबंधन की तैयारियां कहां तक पहुंची हैं और किस तरह वे अपने लक्ष्य को पाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं…
जिसने विपक्ष को किया एकजुट, उसी ने बदला पाला
सबसे पहले इंडिया गठबंधन की बात। साल 2023 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सम्पूर्ण विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश शुरू की। वे हर नेता की दर तक पहुंचे, लेकिन वे खुद पाला बदलकर एनडीए के साथ पहुंच चुके हैं। इसी गठबंधन का हिस्सा रहे राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी जयंत सिंह भी एनडीए में आ गए हैं। कुछ महीने पहले जब विपक्ष ने इंडिया गठबंधन नामकरण किया, तब से कोई भी नया दल इनके साथ जुड़ा तो नहीं है, अलबत्ता ये दो प्रमुख दल एनडीए में आ चुके हैं।
Shri @rsprasad addresses a press conference at BJP headquarters in New Delhi. https://t.co/wb3pFUtx5G
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कांग्रेस को नहीं मिल रहा भाव
आम आदमी पार्टी ने संकेत दिया है कि वह दिल्ली और पंजाब में सीटों पर बहुत ज्यादा समझौता नहीं करने जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी भी अपने साथी दलों को पश्चिम बंगाल में बहुत भाव न देने की घोषणा कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी गठबंधन में होकर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा से दूरी बनाए हुए है। बताया जा रहा है कि इस दल के नेता अखिलेश यादव सीटों को लेकर सहज नहीं हैं। यही कारण है कि वे अपनी ओर से प्रत्याशियों की घोषणा लगातार करते जा रहे हैं।
विपक्ष में नहीं दिख रही एकजुटता
सच्चाई यह है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में अभी बिहार के राष्ट्रीय जनता दल, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके, महाराष्ट्र में एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस ही एकजुट दिखाई दे रहे हैं। बाकी सबके सब बिखरे हुए हैं। पूरे देश में सीटों के बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी तस्वीर साफ नहीं की है। राज्यों में भी महराष्ट्र को छोड़कर कहीं बहुत स्थिति स्पष्ट नहीं है। स्वाभाविक है कि मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए जिस एकजुटता की जरूरत है, वह विपक्षी एकता में दिखाई नहीं दे रही है।
Article 370 has been abrogated and now, you should give 370 (seats) to BJP, and 400+ seats to the NDA in the upcoming elections.
I assure that no one will be left behind, and everyone will move forward, together.
– PM @narendramodi
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एनडीए को वॉक ओवर दे रहा विपक्ष
मौजूदा तैयारियों के हिसाब से यह कहना या सोचना भी हास्यास्पद लगता है कि विपक्ष एनडीए को सत्ता से उखाड़ फेंकेगा। फिलहाल, यह आसान तो बिल्कुल नहीं लगता, क्योंकि तैयारियां बेहद कमजोर हैं। न तो नेता का पता है और न ही नेतृत्व का, न नारे बने और न ही नीति, ऐसे में विपक्ष एनडीए को वॉक ओवर देता हुआ दिखाई दे रहा है। विपक्ष में होने के कारण इस गठबंधन के पास राष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्यक्रम भी नहीं है, जिसका प्रचार ये करेंगे। राज्यों के अलग-अलग मॉडल जरूर हैं। ऐसे में रास्ता कठिन सा दिखता है।
चुनावी मोड में है भाजपा
उधर, एनडीए की प्रमुख साझेदार भारतीय जनता पार्टी काफी पहले से ही चुनावी मोड में है। उसके कार्यकर्ता घर-घर तक पहुंचकर वोटों का हिसाब-किताब कर चुके हैं। अपने देश में चुनाव चलते ही रहते हैं तो यह अकेला दल है, जो हरदम एक्टिव रहता है। उदाहरण के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में हाल ही में चुनाव हुए हैं, वहां वोटर्स के साथ बना रिश्ता एकदम ताजा है। भाजपा के सहयोगी संगठन गांव-गांव पहुंच रहे हैं।
मोदी की गारंटी से डरकर भाग रहा गांधी परिवार… pic.twitter.com/Ec7KHclZhI
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राजस्थान के मंत्री की लगी ‘शाह’ क्लास
भाजपा की तैयारियों का अंदाजा आप एक घटना से लगा सकते हैं। मंगलवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजस्थान के दौरे पर थे। वे चुनावी तैयारियों के आगाज को गए थे। अंदरूनी बैठक में उन्होंने राजस्थान सरकार के तीन मंत्रियों की तगड़ी क्लास इसलिए लगा दी, क्योंकि वे लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए दिए गए टास्क के बारे में कुछ बता नहीं सके। संभवतः वे मंत्रीपद के हैंगओवर से अभी उबरे नहीं हैं।
किसी भी दल के पास नहीं है भाजपा जैसा कार्यकर्ताओं का नेटवर्क
भाजपा के ऐसे नेताओं को एहसास भी नहीं है कि उनके लीडर नरेंद्र मोदी और अमित शाह कभी भी जीत के हैंगओवर में होते ही नहीं हैं। वे आज चुनाव जीतकर अगली सुबह किसी दूसरे चुनाव की तैयारियों में जुट जाते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कार्यकर्ताओं का जो नेटवर्क देश भर में आज भाजपा के पास है, किसी भी दल के पास नहीं है। यहां अभी भी दरी बिछाने वाले कार्यकर्ता हैं, भले ही वे किसी बाहरी नेता को पद पाने से दुखी हों, पर काम पूरी शिद्दत से करते हुए देखे जाते हैं। दूसरे दलों के पास नेताओं की फौज तो है, लेकिन कार्यकर्ता गायब हैं।
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भाजपा का गुणगान करते दिखाई दे रहे लाभार्थी
भाजपा के पास राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गिनाने को बहुत कुछ है। 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन वर्षों से मिल रहा है। आगे भी कई बरस मिलने वाला है। 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को फ्री गैस सिलिंडर मिल चुका है। 50 करोड़ आयुष्मान कार्ड बन चुका है। 12-13 करोड़ किसानों को साल के छह हजार मिल रहे हैं। घर-घर शौचालय, नल से जल, गरीबों को छत देने की कहानियां भाजपा के खाते में है। यह सब कुछ भाजपा कार्यकर्ता भी जनता के बीच जाकर बता रहे हैं तो सरकार भी अपने स्तर पर सक्रिय है। लाभार्थी अलग भाजपा का गुण गाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
370 के लक्ष्य को पाना भाजपा के लिए नहीं होगा आसान
इतना सबके बावजूद, भाजपा के लिए मोदी के दिए लक्ष्य 370 को छूना आसान नहीं दिखाई देता, लेकिन वे अपने लक्ष्य को पाने के लिए लड़ रहे हैं। कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं। परिणाम कुछ भी आए लेकिन योद्धा को लड़ते हुए दिखाई देना भी महत्वपूर्ण है। विपक्ष से यहीं चूक हो रही है। वह न तो एकजुट है और न ही लड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
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