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क्या इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ेंगे राम मंदिर और मोदी की गारंटी? मिशन 2024 के लिए शाह का प्लान रेडी

Amit Shah Strategy For Lok Sabha Election: नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में दो दिनी बैठक कल शनिवार को खत्म हो गई। पार्टी ने सभी पदाधिकारियों को बूथ मैनेजमेंट समेत कई सुझाव दिये हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी किस रणनीति के सहारे आगे बढ़ेगी। पढ़ें यह विश्लेषण

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Dec 24, 2023 12:56
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BJP strategy for 2024 election
BJP strategy for 2024 election

BJP strategy for 2024 election: नई दिल्ली में भाजपा पदाधिकारियों की दो दिन की बैठक शनिवार को समाप्त हो गई। तीन राज्यों के चुनावी नतीजों से उत्साहित भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। इसके लिए उन्होंने बूथ मैनेजमेंट, मोदी की गारंटी और हर सीट पर 50 प्रतिशत वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही पार्टी ने टोटल वोट शेयर को भी 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

बैठक के पहले दिन पीएम मोदी ने पदाधिकारियों को जीत का मंत्र दिया तो वहीं बैठक के दूसरे दिन अमित शाह ने बैठक कर पदाधिकारियों को संबोधित किया। इस बैठक में पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी महासचिव और राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हुए।

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जानकारी के अनुसार शाह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी है। लोग खुश हैं। उन्होंने जल जीवन मिशन, उज्जवला, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, नेशनल हाइवे के निर्माण, राम मंदिर निर्माण, प्रमुख धार्मिक मंदिरों का जीर्णोद्वार समेत अनेक योजनाओं का नाम गिनाते हुए कहा कि ये सभी मोदी सरकार की उपलब्धियां है जिन्हें हमें जनता के बीच ले जाना है।

40 करोड़ लोगों तक पहुंचने की तैयारी

जानकारी के अनुसार पार्टी आने वाले दिनों में राम मंदिर को लेकर बड़ा अभियान शुरू कर सकती है। रामलला की प्रतिष्ठा के बाद पार्टी इस पर एक बुकलेट जारी कर सकती है। बुकलेट में राम मंदिर के निर्माण में भाजपा के योगदान को बताया जाएगा।

इसके अलावा मोदी सरकार के 10 साल के कार्यों का लेखा जोखा भी इस पुस्तक में होगा। ऐसा करके पार्टी सीधा 40 करोड़ लोगों तक पहुंचने की तैयारी में हैं। इसके अलावा पार्टी ने इस बार के चुनाव में 350 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में इस बार पार्टी ने 350 का लक्ष्य निर्धारित किया है।

ओडिशा, बंगाल, तेलंगाना में सीटें बढ़ाने पर जोर

बैठक में तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश में अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं तेलंगाना, बंगाल और उड़ीसा में पार्टी के सामने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। बता दें कि 2019 के चुनाव में पार्टी ने ओडिशा की 21 में से 7, बंगाल की 42 में से 18 तेलंगाना की 17 में 4 सीटें जीती थीं।

हालांकि इस बार ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इंडिया गठबंधन के चुनाव लड़ने से जीत का अंतर कम हो सकता है। वहीं कई सीटों पर कांटे की टक्कर भी हो सकती है। ऐसे में पार्टी यह मानकर चल रही है कि अगर मैदानी इलाकों में सीटें कम होती है तो उसे दक्षिण में जीता जा सकता है।

तमिलनाडु-तेलंगाना में विशेष जोर

पार्टी का इस बार तमिलनाडु और तेलंगाना में सीटें जीतने पर विशेष जोर है। तमिलनाडु में पार्टी युवा अध्यक्ष के अन्नामलाई के नेतृत्व में पद यात्रा निकाल रही है। पार्टी प्रदेश की 39 में से 15 सीटें जीतने का टारगेट लेकर चल रही है। वहीं तेलंगाना में भी पार्टी इस बार 8 से 10 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

बात करें यूपी की तो यहां पार्टी को लगता है कि वह आराम से 70 सीटों के लक्ष्य को पार कर लेगी। क्योंकि सपा यहां कांग्रेस और रालोद से गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में बसपा सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। इससे दलित और मुस्लिम वोटों के बंटने पर भाजपा को फायदा मिल सकता है।

इन राज्यों में क्लीन स्वीप पर नजरें

वहीं बिहार में भी पार्टी का लक्ष्य नीतीश कुमार की नाकामयाबी और राजद के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर पिछला रिकाॅर्ड हासिल करना है। हां लोक जनशक्ति पार्टी के दो धड़े पार्टी को नुकसान करा सकते हैं। ऐसे में दोनों का एक होना जरूरी है।

हरियाणा में पार्टी को इस बार किसान आंदोलन और रेसलिंग विवाद के बाद नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, एमपी, छत्तीसगढ़ और गुजरात में भाजपा एक बार फिर क्लीन स्वीप कर सकती है।

HISTORY

Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Dec 24, 2023 12:35 PM

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