Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर का मुद्दा उछालकर देश में नई चर्चा शुरू कर दी है। विधि आयोग को इस मुद्दे पर लाखों प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। अब तक 8.5 लाख से ज्यादा लोगों ने यूसीसी पर अपनी राय विधि आयोग को दी है। इसका खुलासा खुद विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने ANI के साथ एक विशेष साक्षात्कार में किया।
हालांकि, जस्टिस अवस्थी ने कहा कि समान नागरिक संहिता कोई नया मुद्दा नहीं है। यह मुद्दा 2016 में भी उठ चुका है। उन्होंने बताया कि नवंबर 2022 में विधि आयोग में नियुक्तियां की गईं। हम समान नागरिक संहिता पर काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग सभी हितधारकों और संगठन के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने का प्रयास कर रहा है।
"Sedition law is the need of the hour. We examined the usage of law and it is much needed considering the current condition of the country," says Law Commission Chairman Justice Rituraj Awasthi to ANI
"From Kashmir to Kerala and from Punjab to North East, if you see the… pic.twitter.com/A152EFzMiH
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) June 28, 2023
14 जून से फिर से मांगी राय
देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए समान कानून लागू करने की बहस के बीच 14 जून को विधि आयोग ने जनता और धार्मिक संगठनों से राय मांगी। विधि इसके लिए 30 दिन का समय दिया है। जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने बताया कि भारत का 22वां विधि आयोग अन्य चीजों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक संदर्भ पर समान नागरिक संहिता की जांच कर रहा है।
2018 में मिला था जबरदस्त रिस्पांस
21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर 7 अक्टूबर 2016 को एक प्रश्नावली के माध्यम से लोगों से राय मांगी थी। 19 मार्च 2018 और 27 मार्च 2018 को इसे फिर से दोहराया गया। उस वक्त समान नागरिक संहिता पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी।
देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कहा, ‘समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं।’
विपक्ष ने इसे वोट बैंक की राजनीति दिया करार
विपक्षी नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति कहकर पीएम मोदी पर निशाना साधा। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम से पूछा कि क्या सरकार देश के बहुलवाद और विविधता को छीनने पर विचार कर रही है? उन्होंने कहा कि भारत के प्रधान मंत्री भारत की विविधता और इसके बहुलवाद को एक समस्या मानते हैं। इसलिए, वह ऐसी बातें कहते हैं। शायद भारत के प्रधान मंत्री अनुच्छेद 29 को नहीं समझते हैं। क्या आप यूसीसी के नाम पर देश से उसके बहुलवाद और विविधता को छीन लेंगे?
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