नई दिल्ली: मां भारती के महान सपूतों में से एक महावीर लचित बरफुकन की आज 400वीं जयंती है। उन्होंने अपने पराक्रम के बल पर मुगलों से लड़ाई लड़ी। लाचित बरफुकन असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य में महान सेनापति थे। उन्हें 1671 के सरायघाट के युद्ध में सेना की अगुवाई के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व औरंगजेब मुगल सेना का असम पर कब्जा करने का प्रयास विफल कर दिया गया था। लाचित बरफुकन के उत्तर पूर्व भारत का शिवाजी भी कहा जाता है।
लचित बरफुकन की आज 400वीं जयंती के मौके पर देशभर खासकर असम में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। लाचित बोड़फुकन की 400 वीं जयंती वर्ष समारोह का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी साल फरवरी में असम के जोरहाट में किया था। वहीं आज पीएमओ विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया।
Great personalities like Lachit Barphukan, and immortal offsprings of Bharat Maa are our constant inspirations for the fulfilment of the resolutions of this Amrit Kaal: PM Narendra Modi at the 400th birth anniversary celebration of Lachit Barphukan, in Delhi pic.twitter.com/kVkwcy7Ubs
— ANI (@ANI) November 25, 2022
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लचित की जयंती समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें लचित बरफुकन की 400वीं जयंती मनाने का अवसर ऐसे समय में मिला है जब देश अपनी आजादी का अमृत काल मना रहा है। यह ऐतिहासिक अवसर असम के इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय है।
Assam CM Himanta Biswa Sarma felicitates PM Narendra Modi at the 400th Birth Anniversary celebration of Lachit Barphukan, in Delhi. pic.twitter.com/z9cvEzap5H
— ANI (@ANI) November 25, 2022
दिल्ली के विज्ञान भवन में चल रहे इस समारोह का उद्घाटन असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने किया था। पीएम मोदी ने सरमा के साथ समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित प्रदर्शनी का दौरा भी किया और लचित बरफुकन की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि भी दी।
आपको बता दें कि युद्ध गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के सरायघाट पर लड़ा गया था। महावीर लचित बरफुकन ने मुगलों को कई बार धूल चटाई और हराया। इतना ही नहीं उन्होंने मुगलों के कब्जे से गुवाहाटी को छुड़ाया। जिसपर औरंगजेब की सेना ने कब्जा कर लिया था। बरफुकन ने मुगलों को गुवाहाटी से बाहर धकेल दिया।
इस विजय की याद में असम में हर साल 24 नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है। पीएमओ ने कहा कि लाचित बोड़फुकन ने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया, जिसकी वजह से मुगलों को करारी और अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा। साथ ही पीएमओ ने कहा कि ‘लाचित बोड़फुकन और उनकी सेना की ओर से लड़ी गई यह लड़ाई हमारे देश के इतिहास में प्रतिरोध की सबसे प्रेरणादायक सैन्य उपलब्धियों में से एक है।’