JKLF Commander Yasin Malik: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जज उस समय हैरान हो गए, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के कमांडर यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से सामने मौजूद पाया। अदालत ने कहा कि हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, जिसमें यासीन मलिक को कोर्ट में हाजिर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की पेशी पर केंद्र सरकार ने भी चिंता जताई है।
यासीन मलिक पर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद यासीन मलिक तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। गृह मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि उसे जेल से बाहर नहीं जाएगा। जब भी कोर्ट में सुनवाई होगी, उसकी पेशी वर्चुअल तरीके से ही होगी।
क्यों कोर्ट लाया गया यासीन?
दरअसल, यासीन मलिक पर 1989 में चार भारतीय वायुसेना (IAF) कर्मियों की हत्या और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद की किडनैपिंग का आरोप है। इस मामले में 20 और 21 सितंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की कोर्ट ने गवाहों से जिरह करने के लिए यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया था।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एनआईए कोर्ट के आदेशों का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। सीबीआई ने कहा कि क्षेत्र में होने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जज दीपांकर दत्ता ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है।
Solicitor General Tushar Mehta writes to Union Home Secretary Ajay Bhalla stating that Yasin Malik's presence in Supreme Court was a "serious security lapse" raising apprehension that he could have "escaped, forcibly taken away or could have been killed."
— ANI (@ANI) July 21, 2023
केंद्र सरकार ने इस घटनाक्रम को गंभीर मुद्दा बताया
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को अवगत कराया कि शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है कि यासीन मलिक को मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने शारीरिक रूप से पेश किया जाए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया था, जिसमें यासीन मलिक को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा गया हो।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किया है कि उन्हें जेल से बाहर नहीं लाया जाएगा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इसे गंभीर सुरक्षा मुद्दा बताया। उन्होंने गृह मंत्रालय के सेक्रेटरी अजय भल्ला को लेटर लिखा है। शीर्ष अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अदालत में पेश होने के लिए वर्चुअल तरीके उपलब्ध हैं।
अब चार हफ्ते बाद होगी सुनवाई
जस्टिस कांत ने मामले को चार हफ्ते बाद सूचीबद्ध करते हुए कहा कि इसकी सुनवाई किसी अन्य पीठ को करने दें, जिसमें जस्टिस दत्ता उस पीठ के सदस्य नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में जम्मू की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।
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