---विज्ञापन---

Mirwaiz Farooq Murder Case: मीरवाइज फारूक की हत्या में 32 साल से फरार 2 आतंकी अरेस्ट, J&K पुलिस ने CBI को सौंपा

Mirwaiz Farooq Murder Case: जम्मू और कश्मीर पुलिस ने 1990 में हुई मीरवाइज मौलवी फारूक की हत्या में बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी जावेद भट और जहूर अहमद भट को गिरफ्तार किया है। ये दोनों आतंकी 32 साल फरार चल रहे थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी इंटेलिजेंस आरआर […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: May 16, 2023 18:06
Share :
Mirwaiz Farooq Murder Case, Jammu Kashmir Police, Hizbul Mujahideen terrorists
Mirwaiz Farooq Murder Case

Mirwaiz Farooq Murder Case: जम्मू और कश्मीर पुलिस ने 1990 में हुई मीरवाइज मौलवी फारूक की हत्या में बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी जावेद भट और जहूर अहमद भट को गिरफ्तार किया है। ये दोनों आतंकी 32 साल फरार चल रहे थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी इंटेलिजेंस आरआर स्वैन ने बताया कि खुफिया जानकारी की मदद से इन आतंकियों को श्रीनगर से पकड़ा गया है। सीबीआई की टीम दिल्ली से घोषित अपराधियों के नोटिस के साथ आई है। उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।

जहूर ने मीरवाइज को बेडरूम में घुसकर मारी थी गोली

डीजी इंटेलिजेंस ने कहा कि हिजबुल के दोनों आतंकवादियों को अब आगे की सुनवाई के लिए सीबीआई को सौंपा जा रहा है। जहूर वह आतंकवादी है जिसने श्रीनगर में मीरवाइज मौलवी फारूक पर उनके बेडरूम में घुसकर गोली मारी थी। इस हत्याकांड में कुल पांच आतंकवादी शामिल थे। इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड अब्दुल्ला बांगरू और एक अन्य आतंकी रहमान शिगान 90 के दशक में हुए मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुके हैं। तीसरे आतंकवादी अयूब डार को गिरफ्तार किया था। उसे आजीवन कैद हो चुकी है। वर्तमान में वह श्रीनगर केंद्रीय जेल में सजा काट रहा है। जावेद भट और जहूर भट फरार थे। अब ये भी पकड़े जा चुके हैं।

हत्या के बाद से थे दोनों फरार

21 मई 1990 को मीरवाइज की हत्या करने के बाद जावेद और जहूर फरार हो गए थे। दोनों भूमिगत हो गए थे और इन सभी वर्षों के दौरान नेपाल और पाकिस्तान में कई जगहों पर छिपे हुए थे और कुछ साल पहले चुपके से कश्मीर वापस आ गए थे। इन दोनों अभियुक्तों पर अब दिल्ली में एक विशेष टाडा अदालत में मुकदमा चलेगा। टाडा अदालत ने आतंकी अयूब डार को दोषी करार दिया था और वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

उमर के पिता थे मीरवाइज फारूक

बता दें कि मीरवाइज एक तरह की पदवी है, जिसका अर्थ होता खुतबा पढ़ने वाला। 21 मई 1990 को कश्मीर के मीरवाइज फारूक को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। यह वो दौर था जब कश्मीर से कश्मीरी पंडितों का पलायन हो रहा था। आतंकियों ने फारूक पर भारतीय एजेंट होने का आरोप लगाया था। 11 जून 1990 को इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।

मीरवाइज फारूक शाह उमर फारूक के पिता थे। जिस समय उनकी हत्या हुई, उमर की उम्र महज 16 साल थी। मीरवाइज की पदवी बाद में उमर को मिली। उमर को अलगाववादी नेता बताया जाता है। वे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने का विरोध करते हैं। लंबे समय तक उन्हें नजरबंद रखा गया था।

श्रीनगर से आसिफ सुहाफ की रिपोर्ट।

यह भी पढ़ेंWest Bengal Factory Explosion: पूर्वी मिदनापुर जिले में जोरदार धमाका, सात की मौत, बीजेपी ने सीएम ममता को घेरा

 

HISTORY

Edited By

Bhola Sharma

First published on: May 16, 2023 05:40 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें