Jairam Ramesh On EAM Remarks: विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने बयान जारी किया है। जयराम रमेश ने कहा है कि चीन के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार की रणनीति DDLJ जैसी है। जयराम रमेश ने DDLJ का मतलब समझाते हुए कहा कि चीनी घुसपैठ पर मोदी सरकार ‘DDLJ’ यानी कि Deny (इनकार करो), Distract (ध्यान भटकाओ), Lie (झूठ बोलो), Justify (उचित ठहराओ) की नीति अपना रही है।
कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने जारी किया पत्र
कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने एक पत्र जारी कर आरोप लगाया कि मोदी सरकार इस तथ्य को झूठला नहीं सकती कि वर्तमान केंद्र सरकार ने चीनी घुसपैठ को छिपाने की कोशिश की है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मई 2020 में अब तक लद्दाख में भारत ने 65 में से 26 चौकियों से अपना नियंत्रण खो दिया।
Modi govt’s strategy to deal with Chinese incursions in Ladakh summed up with DDLJ-Deny,Distract, Lie, Justify…No amount of obfuscation can hide that Modi govt sought to cover up India’s biggest territorial setback in decades that followed PM’s naive wooing of Pres Xi: J Ramesh pic.twitter.com/gtcZ7oXLZn
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) January 30, 2023
कांग्रेस नेता ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से चीनी घुसपैठ पर दिए गए उनके हालिया बयान को ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया है। बता दें कि हाल ही में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारतीय जमीन पर कब्जे की कोशिश 1962 में हुई थी, लेकिन विपक्ष में मौजूद कांग्रेस इस तथ्य को छिपाती है। कांग्रेस ये जताती है कि ये सब कुछ हाल ही में हुआ हो।
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जयराम बोले- 1962 और 2020 की कोई तुलना नहीं है
जयराम रमेश ने कहा कि तथ्य यह है कि 1962 में भारत अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए चीन के साथ युद्ध में गया था और 2020 में भारत ने इनकार के साथ चीनी आक्रामकता को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद ‘डिसइंगेजमेंट’ हुआ, जिसमें भारत ने हजारों वर्ग किलोमीटर तक अपनी पहुंच खो दी।
2017 में चीनी राजदूत के साथ राहुल गांधी की मुलाकात पर सवाल उठाने के लिए एस जयशंकर पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस नेता ने पूछा कि क्या विपक्षी नेता सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों से मिलने के हकदार नहीं हैं? उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को शुरू से ही ईमानदार होना चाहिए था और संसदीय स्थायी समितियों में चीन संकट पर चर्चा करके, संसद में इस मुद्दे पर बहस करके विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए था।
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