IPS Harshvardhan Singh Last Wish: जिंदगी कब-कहां मोड़ खा जाए, पता नहीं चलता। जिंदगी पाने के बाद कब तक और कितने साल जीना है, पहले से तय होता है। कब, कहां और कैसे मौत आनी है? यह भी पहले से तय होता है, लेकिन कोई जानता नहीं है। इसलिए अकसर ऐसे हादसे हो जाते हैं, जो ताउम्र के लिए ऐसा दर्द दे जाते हैं, जो भुलाए नहीं भूलता। ऐसा ही एक दर्द मिला है, उस परिवार को जिसका जवान बेटा 26 साल की उम्र में ही उन्हें छोड़कर चला गया।
हर्षवर्धन सिंह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रहा था। अपने सपने का पूरा करने जा रहा था कि हादसे ने उससे मौत की नींद सुला दिया। टारगेट से 10 किलोमीटर पहले ही उसे यमराज मिल गए और अपने साथ ले गए। जब उसे पंचतत्व में विलीन किया गया तो परिजनों ने उसके सपने के बारे में बताया। वह सपना इतना खास था कि उसे पूरा करने लिए 2 सरकारी नौकरियां तक छोड़ी गईं। जी हां, बात हो रही है IPS हर्षवर्धन सिंह की, जो सड़क हादसे में मारे गए।
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पहली पोस्टिंग पर जॉइनिंग से पहले मौत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, IPS हर्षवर्धन सिंह को बिहार के सहरसा जिले के सोनवर्षा राज शहर के फतेहपुर पड़रिया गांव में अंतिम विदाई दी गई। परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों, सहकर्मियों की मौजूदगी में राजकीय सम्मान के साथ अफसर का अंतिम संस्कार किया गया। हर्षवर्धन सिंह रविवार को कर्नाटक के हासन जिले में हुए हादसे में मारे गए। वे कर्नाटक के ही हिसाल में अपनी पहली पोस्टिंग बतौर अपर पुलिस अधीक्षक जॉइन करने जा रहे थे।
10 किलोमीटर पहले ही उनकी गाड़ी का टायर फट गया और सड़क किनाने पेड़ से उनकी गाड़ी भिड़ गई। हादसे में घायल हर्षवर्धन ने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। सिर में ज्यादा चोट लगने की वजह से उनकी जान गई। हर्षवर्धन सिंह 2023 बैच के IPS अधिकारी थे और मैसूर एकेडमी में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अपना सपना पूरा करने की राह पर बढ़ते हुए टारगेट के नजदीक पहुंचने से पहले ही मंजिल छूट गई।
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पिता की तरह देशसेवा करने का था सपना
हर्षवर्धन सिंह के चाचा कमलेश ने बताया कि हर्षवर्धन के पिता अखिलेश सिंह मध्य प्रदेश में SDM हैं। उसका छोटा भाई आनंदवर्धन IIT इंजीनियर हैं और UPSC की तैयारी कर रहा है। हर्षवर्धन ने इंदौर NIT से बीटेक की थी। बिहार का परिवार प्रशासनिक सेवा में होने के कारण मध्य प्रदेश में रहता था। पिता की तरह हर्षवर्धन ने भी प्रशासनिक अफसर बनकर देशसेवा करने का सपना देखा था। इसलिए उसने पूर्णिया के पंचायत राज पदाधिकारी की नौकरी छोड़ी। एक और सरकारी नौकरी ऑफर हुई थी, लेकिन उसे अस्वीकार करके उसने UPSC की राह चुनी थी, लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि देशसेवा का सपना अधूरा रह जाएगा। इस सपने को पूरा करने की राह पर वह परिवार से छूट जाएगा।
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