नई दिल्ली: शादी हर इंसान के जीवन का ऐसा पड़ाव है जिसे लोग आमतौर पर अपने प्रियजनों के साथ सेलिब्रेट करते हैं। कई मौके पर जीवन की गाड़ी ठीक न चलने पर तलाक की नौबत भी आ जाती है और कुछ समय तक अदालत के चक्कर लगाने के बाद तलाक हो भी जाता है लेकिन इसका जश्न नहीं मनाया जाता। लेकिन भोपाल में इन दिनों तलाक का जश्न मनाने की तैयारी थी जिसे विरोध के बाद रद्द कर दिया गया है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों तलाक के इनविटेशन का एक कार्ड वायरल हो रहा था जिसके तहत जश्न की तैयारी थी। भाई वेलफेयर सोसाइटी नाम के एक NGO ने 18 सितंबर को यह कहते हुए कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया कि यह पहल लोगों को प्रेरित करेगी कि तलाक के बाद जीवन समाप्त नहीं होता है। हालांकि, कुछ समूहों और व्यक्तियों ने विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है।
Those who missed #BoycottMarriage celebrations will celebrate divorce if they can get out without getting clutched by biased laws after divorce.
This Divorce invitation was trending viral. pic.twitter.com/WquxB60ocN
---विज्ञापन---— 𝑩𝒆𝒓𝒍𝒊𝒏 (@FamilymanBerlin) September 11, 2022
NGO उन पुरुषों के लिए एक हेल्पलाइन भी चलाता है जो तलाक के मामलों का सामना कर रहे हैं। NGO के पदाधिकारियों ने कहा कि इस तरह के दौर में अक्सर पुरुषों को आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में जब किसी को आजादी मिलती है, तो उसे सेलिब्रेट किया जाना चाहिए।
शादी के कार्ड की तर्ज पर छपवाया था तलाक वाला कार्ड
तलाक वाले जश्न समारोह के कार्ड को शादी की तर्ज पर ही छपवाया गया था। इसमें शादी वाले रस्मों की तरह चरणबद्ध तरीके से रस्मअदायगी की बात भी लिखा गई थी, जैसे- शादी की माला का विसर्जन (जयमाला), ‘जेंट्स संगीत’ (विवाह समारोह में महिला संगीत के समान संगीत कार्यक्रम), ‘सद्बुद्धि शुद्धिकरण यज्ञ’ (अग्नि अनुष्ठान), सात कदम और मानवीय गरिमा के लिए काम करने की शपथ शामिल थे।
यह आयोजन 18 सितंबर को सुबह 11 बजे से भोपाल के बाहरी इलाके बिलखिरिया के एक रिसॉर्ट में होना था। कार्यक्रम में समाज के लगभग 200 सदस्यों को भाग लेना था। कार्यक्रम के रद्द होने के बाद आयोजकों ने कहा कि वे महिलाओं के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि केवल कानूनों के दुरुपयोग को रोकना चाहते हैं।
कुछ स्थानीय हिंदू संगठनों ने इस पहल का विरोध किया जिसके बाद एनजीओ ने इस कार्यक्रम को रद्द करने का फैसला किया। एनजीओ के पदाधिकारियों ने कहा कि वे निजी आयोजन के इर्द-गिर्द कोई राजनीति नहीं चाहते हैं, जिसका उद्देश्य 18 पुरुषों के तलाक का जश्न मनाने के लिए था, जिन्होंने ढाई साल से अधिक समय तक एक कठिन कानूनी लड़ाई लड़ी थी।