Love Murder Mystery: भारत (INDIA) में अपराध (CRIME) की कई तरह की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन श्रद्धा वाकर की निर्मम हत्या (Shraddha Murder Case) ने राजधानी दिल्ली समेत उन तमाम मां-बाप को डरा दिया है, जिनके बच्चे पढ़ाई या फिर जॉब के सिलसिले में बाहर रहते हैं। हैवानियत की सारी हदें पार करने वाला आफताब पूनावाला पहला ऐसा हैवान नहीं है।
31 जनवरी 1954 को बेला रानी दत्ता मर्डर केस हुआ। उसके बाद 2 जुलाई 1995 को नैना साहनी हत्याकांड जिसे ‘तंदूर कांड’ भी कहा जाता है। 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा गुलाटी हत्याकांड हुआ था, जिसमें युवती के 72 टुकड़े कर दिए गए थे। अब 18 मई 2022 को श्रद्धा हत्याकांड हुआ है, जिसमें युवती के 35 टुकड़े कर दिए गए।
आपराधिक मामलों को सुलझाने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि चारों मामले के हत्यारे एक क्रूर मानसिकता से ग्रस्त थे और हत्यारों ने क्षणिक आवेश में आकर नहीं, बल्कि सोच-समझकर वारदातों को अंजाम दिया। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि परिवार और मित्रों की सक्रिय भूमिका ऐसी घटनाओं को रोक सकती है। आज आपको इन चारों वारदातों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
मेरठ में जन्मे गजलकार इकबाल अजीम ने ये नज़्म शायद ऐसे जघन्य वारदातों को अंजाम देने वालों के लिए लिखी हैं…
कातिल ने किस सफाई से धोई है आस्तीन,
उसको खबर नहीं कि लहू बोलता भी है…
बेलारानी दत्ता मर्डर केस – 31 जनवरी 1954
Love Murder Mystery: बात 31 जनवरी, 1954 की है। कोलकाता में एक स्वीपर ने टॉयलेट के पास अखबार में लिपटा पैकेट देखा। उसने अखबार पर खून के छींटे देखे और इंसानी अंगुली भी देखी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। घटना का जो खुलासा हुआ, उससे हर कोई हैरान रह गया। बीरेन नाम के एक युवक का बेलारानी और मीरा नाम की महिलाओं से संबंध था। वह दोहरी जिंदगी जी रहा था। मिलने में देरी होती तो दोनों महिलाएं उससे सवाल पूछती थीं और बीरेन परेशान हो जाता था। इसी बीच बेलारानी ने बीरेन को बताया कि वह प्रेग्नेंट है। इसके बाद बीरेन ने उसे मार डाला और उसके शरीर को टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद उसने उस घर की आलमारी में शरीर के टुकड़ों को रख दिया और दो दिन तक सोता रहा। बाद में उसने बेलारानी के शरीर के टुकड़ों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया। मामले में दोषी पाए जाने पर बीरेन को फांसी की सजा मिली थी।
नैना साहनी हत्याकांड (तंदूर कांड – 2 जुलाई 1995)
Love Murder Mystery: दो जुलाई, 1995 में नैना साहनी को उसके पति सुशील शर्मा ने मार डाला। सुशील शर्मा कांग्रेस का युवा नेता और दिल्ली में विधायक था। सुशील को नैना के मतलूब खान से रिश्तों पर ऐतराज था। मतलूब और नैना एक-दूसरे को स्कूल के दिनों से जानते थे। घटना के दिन सुशील ने नैना को मतलूब से फोन पर बात करते हुए देख लिया था। वह गुस्से से भर उठा और नैना को गोली मार दी। इसके बाद वह नैना की बॉडी लेकर एक रेस्टोरेंट में गया और वहां के मैनेजर के साथ मिलकर बॉडी ठिकाने लगाने की सोची। बॉडी को राख में तब्दील करने के मकसद से तंदूर में रख दिया गया। बाद में पुलिस ने रेस्टोरेंट मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शर्मा भागने में कामयाब रहा। बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया।
अनुपमा गुलाटी हत्याकांड – 17 अक्टूबर 2010
Love Murder Mystery: अनुपमा के पति राजेश गुलाटी ने उसकी निर्मम तरीके से हत्या कर लाश के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए थे। अपनी बहन का कोई हाल-चाल न मिलने पर जब अनुपमा का भाई सूरज दिल्ली से देहरादून पहुंचा तो जघन्य हत्याकांड का खुलासा हुआ। बताया जाता है कि आफताब ने श्रद्धा की हत्या करने से पहले अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के बारे में पढ़ा था।
बच्चों के सोने के बाद हुआ झगड़ा, चली गई अनुपमा की जान
अनुपमा ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश से लव मैरिज की थी। चार्जशीट के मुताबिक, अनुपमा और राजेश गुलाटी के बीच अक्सर झगड़े होते थे। 17 अक्टूबर 2010 की रात अनुपमा-राजेश के दोनों बच्चे सो चुके थे। हत्या वाले दिन झगड़े के दौरान बेड के कोने पर अनुपमा का सिर लग गया जिसके बाद वह बेहोश हो गई। आधे घंटे तक उसे होश नहीं आया।
राजेश सोचता है कि अनुपमा पहले ही उस पर एक मुकदमा दर्ज करा चुकी है और मुकदमा दर्ज न करा दे, इसलिए इसका काम तमाम करना जरूरी है। वह घर में रखी रूई ले आता है और अनुपमा के मुंह में ठूंस देता है। आखिरकार, दम घुटने से अनुपमा की मौत हो जाती है। इसके बाद राजेश ने अनुपमा के शव को उठाया और बाथरूम में रख दिया। वह रात भर सोचता रहा कि आखिर लाश को कैसे ठिकाने लगाए? बाहर लेकर जाने पर देख लिए जाने का डर था, इसलिए उसने निर्मम तरीके से हत्या कर लाश के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए। जब भी कभी छुट्टी होती तो राजेश अपने बच्चों को लेकर कभी देहरादून तो कभी मसूरी घूमने निकल जाता है। साथ में वह पॉलिथिन में अनुपमा के एक या दो टुकड़े भी ले जाता था और टुकड़ों को पहाड़ों में फेंक देता।
राजेश अभी जेल में बंद है। उसने अपने बच्चों को देखने के लिए कोर्ट से फरियाद की कि उसे कुछ दिन के लिए बाहर निकाला जाए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि तुम जैसे अपराधियों की जगह सिर्फ कालकोठरी है।
श्रद्धा हत्याकांड – मई 2022
Shraddha Murder Case: इस कहानी की शुरुआत मुंबई के एक कॉल सेंटर से शुरू हुई थी, जहां 25 साल की श्रद्धा काम करती थी। यहां श्रद्धा की मुलाकात आफताब नाम के युवक से हुई थी। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। प्यार की बातें आगे बढ़ने लगी और दोनों के बीच रिलेशन मजबूत होने लगे। मगर जब दोनों के परिवार को इस प्यार का पता चला तो दोनों ही परिवारों ने इस रिश्ते से असहमति जताई। पुलिस के मुताबिक, श्रद्धा के परिवार वाले इस शादी से खुश नहीं थे। इसके बाद अपने परिवार से लड़-झगड़ कर श्रद्धा आफताब के पास आ गई और लिव इन में रहने लगी। कुछ महीने बाद श्रद्धा ने अफताब से शादी की बात कही, जिसे आफताब लगातार टालता रहा।
श्रद्धा ने शादी का दबाव बनाना शुरू किया तो आफताब हैवान बन बैठा और 18 मई 2022 को गुस्से में श्रद्धा का गला घोंट दिया। हैवान बन चुके आफताब ने श्रद्धा की मौत के बाद उसकी लाश को 35 टुकड़ों में काटा। उसने एक रेफ्रिजरेटर भी खरीदा, जिसमें शरीर के टुकड़ों को रखा था। पुलिस की मानें तो आफताब ने कत्ल के बाद अगले 18 दिनों तक रात के समय दिल्ली और उसके आसपास के विभिन्न स्थानों पर शरीर के टुकड़ों को ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।
परिवार नहीं माना तो मुंबई छोड़ दिल्ली आ गए
दोनों के परिवार इस रिश्ते से खफा थे, मगर ये जोड़ी साथ चलना चाहती थी, नई दुनिया में बसाना चाहती थी। जब इनके रिश्ते को परिवार वालों ने स्वीकार नहीं किया तो दोनों ने आखिर में बड़ा कदम उठाया और मुंबई छोड़कर दिल्ली की तरफ रुख कर गए। मुंबई से आने के बाद श्रद्धा और आफताब दिल्ली में छतरपुर इलाके में किराए के फ्लैट में रहने लगे।
शादी करना चाहती थी श्रद्धा, मिली मौत
दिल्ली में दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे, मगर दिल्ली आने के कुछ दिनों बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे थे। इस बात का जिक्र पुलिस पूछताछ में आरोपी आफताब ने ही किया। श्रद्धा दिल्ली आने के बाद आफताब से शादी करना चाहती थी। मगर आफताब शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। जब श्रद्धा शादी के लिए दबाव बनाने लगी तो आफताब उस प्यार और रिश्तों को भूल गया, जिसके लिए वह मुंबई से दिल्ली आया था।