India respond To China lays down new road near Line of Actual Control: भारत ने चीन की चाल को मात देने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी तैयारी कर ली है। गलवान घाटी में हिंसा के बाद से चीन बॉर्डर पर भारत कूटनीतिक तौर पर अहम प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है। दरअसल, भारत लद्दाख में नई सड़क बना रहा है। शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि भारत एक बड़ी परियोजना पूरा होने की दहलीज पर है, जो एलएसी के पास भारतीय सेना की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चौकी तक एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगी। ये सड़क बेहद सुरक्षित है, क्योंकि इसे बॉर्डर उस पार से दिखाई नहीं देगी। इसलिए इसे अदृश्य सड़क कही जा रही है।
2000 मजदूर दिन-रात काम में जुटे
यह सड़क सैनिकों और सैन्य सामग्री को मोर्चे पर पहुंचाने में मदद करेगी। सड़क का निर्माण नवंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। महज तीन साल के भीतर इसे बनाया जा रहा है। 2000 से अधिक लोग समय सीमा को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। सड़क एलएसी से बहुत दूर है, इसलिए यह एलएसी के पार से शुरू होने वाले किसी भी हमले के प्रति कम संवेदनशील रहेगी।
श्योक नदी पर पुल बनना बाकी
130 किमी लंबी ये सड़क नुब्रा घाटी में ससोमा से काराकोरम दर्रे के पास डीबीओ तक जाएगी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को अब ग्लेशियर वाले इलाके में एक खंड को पूरा करना होगा और श्योक नदी पर पुल बनाना है। सड़क को कठोरता सूचकांक-III के तहत रखा गया है। मतलब ये बीआओ की सबसे कठिन परियोजनाओं में से एक है।
रिटायर्ड कमांडर बोले- बीआरओ की होनी चाहिए तारीफ
पूर्व उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा (सेवानिवृत्त) ने बताया कि सब सेक्टर नॉर्थ’ जिसमें काराकोरम दर्रा, देपसांग मैदान और डीबीओ लैंडिंग ग्राउंड शामिल है, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र की ओर जाने वाली डीएस-डीबीओ सड़क गलवान के उत्तर में अपनी अधिकांश लंबाई तक एलएसी के करीब और समानांतर चलती है। ऑपरेशन के दौरान इस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिससे इस क्षेत्र में सैनिकों को मिलने वाला समर्थन बंद हो जाएगा। नुब्रा घाटी और सासेर ला के माध्यम से एक वैकल्पिक मार्ग एक सुरक्षित सड़क प्रदान करता है, जिसमें आसानी से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। सासेर ला के हिमाच्छादित क्षेत्र पर सड़क बनाना एक बड़ी चुनौती थी और इस पर काबू पाने के लिए बीआरओ की सराहना की जानी चाहिए।
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