Opposition meeting before Monsoon session: संसद का मानसून सत्र कल यानी 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इससे पहले सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए इंडिया ब्लॉक की बैठक हुई। बैठक में 8 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। जिसमें विदेश नीति से लेकर एसआईआर और आपॅरेशन सिंदूर से लेकर अहमदाबाद विमान हादसे जैसे मुद्दे शामिल रहे। बैठक से आम आदमी पार्टी दूर रही। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आप ने इंडिया ब्लॉक से किनारा क्यों किया है? इसके अलावा पिछले तीन चुनाव में विपक्ष को करारी मात मिली है। जिसमें महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली शामिल हैं। ऐसे में क्या विपक्ष फिर से खुद को संगठित करने का प्रयास कर रहा है?
आज से कुछ महीनों पहले जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा था तब शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने कहा कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए था। अब उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और फिर अब दिल्ली चुनाव में विपक्ष और कांग्रेस को करारी हार मिलने के बाद एक बार फिर इसकी बैठक हुई है। जोकि हैरान करने वाली रही। इससे पहले बजट सत्र का आयोजन भी हुआ था लेकिन उस समय इंडिया ब्लॉक की मीटिंग सत्र के दौरान हुई। जोकि सत्र के दौरान रणनीति बनाने के लिए अमूमन होती आई है। हालांकि कहा तो यही जा रहा है कि इस बार की बैठक भी संसद सत्र में सरकार को घेरने के लिए बुलाई गई है लेकिन इसका आखिरी मकसद चुनाव में जीत हासिल करना है।
कई राज्यों में होगा एसआईआर
बिहार चुनाव के बाद एसआईआर की प्रक्रिया आगामी चुनावी राज्यों में भी चलेगी। इसमें केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम शामिल हैं। इन सभी राज्यों में अगले एक वर्ष में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों में वोटर लिस्ट रिव्यू की प्रक्रिया आयोग की ओर से शुरू की जाएगी। ऐसे में सभी पार्टियां चिंतित है। टीएमसी पश्चिम बंगाल में इसको लेकर काफी विरोध कर रही है। स्वाभाविक है ऐसा ही विरोध तमिलनाडु में डीएमके और केरल में सीपीएम भी कर रही है। ऐसे में विपक्षी एकजुटता के बिना यह संभव नहीं था। क्योंकि यहां पर ऐसा वोट बैंक निशाने पर है जोकि विपक्ष को फायदा पहुंचाता है।
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ममता को अस्तित्व का खतरा
पश्चिम बंगाल में एसआईआर का विरोध ममता बनर्जी ने अभी से ही शुरू कर दिया है। इसलिए ममता ने भतीजे अभिषेक को इंडिया ब्लॉक की ऑनलाइन मीटिंग में शामिल होने को कहा। ताकि इस मुद्दे पर वामपंथी और कांग्रेस जैसी पार्टियों का सपोर्ट मिल सके। इससे पहले ममता ने इंडिया ब्लॉक से किनारा कर लिया था। इसमें उनकी खुद की महत्वकांक्षाएं भी शामिल हैं। वह विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बनना चाहती हैं। लेकिन उनकी पार्टी का विस्तार पश्चिम बंगाल के अलावा और कहीं नहीं है। यह उनकी सबसे बड़ी दुविधा है।
बिहार में सब कुछ ठीक
बिहार में चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की परख करने के लिए यह बैठक जरूरी थी। पिछले कुछ समय तेजस्वी और राहुल गांधी के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आ रही थी। लेकिन एसआईआर के मुद्दे पर जब से दोनों दल साथ आए हैं यह दूरियां थोड़ी कम होती हुई नजर आ रही है। पटना में विरोध प्रदर्शन के दौरान भी दोनों को साथ देखा गया था। तेजस्वी कांग्रेस की आक्रामक रणनीति के कारण परेशान थे लेकिन लगता है कि अब महागठबंधन में सब कुछ ठीक है।
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