नई दिल्ली: यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देशों का प्रतिबंध झेल रहे रूस से तेल खरीद को लेकर भारत ने एक बार अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा है कि भारत को किसी ने भी रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए नहीं कहा है और हम जहां से चाहेंगे, वहां से तेल खरीदेंगे।
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अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद वाशिंगटन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपने नागरिकों को ऊर्जा प्रदान करना भारत सरकार का नैतिक कर्तव्य है और वह जहां से भी तेल खरीदना चाहती है, वहां से तेल खरीदना जारी रखेगी। मंत्री ने कहा, “यदि आप ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा सामर्थ्य की अपनी नीति के बारे में स्पष्ट हैं, तो आप उन स्रोतों से ऊर्जा खरीदेंगे, जहां से आपको ऊर्जा खरीदनी होगी।”
यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने पर नई दिल्ली के रुख को दोहराते हुए मंत्री ने कहा, “इस तरह की चर्चा को भारत की उपभोक्ता आबादी तक नहीं ले जाया जा सकता है। इसलिए भारत कहीं से भी तेल खरीद सकता है।” पुरी ने ओपेक+ (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) के तेल उत्पादन में एक दिन में दो मिलियन बैरल की कटौती करने के निर्णय पर भी टिप्पणी की और कहा कि भारत स्थिति को नेविगेट करने में सक्षम होगा।
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इससे पहले कई मंचों पर स्पष्ट कर चुके हैं कि कि रूस से तेल खरीदना जारी रखने के भारत के फैसले के पीछे क्या कारण है। हाल ही में, जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी की सलाह थी कि वह करें जो देश के लिए सबसे अच्छा हो।
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जयशंकर ने कहा था, “रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण, पेट्रोल की कीमतें दोगुनी हो गईं। हमारे पास तेल खरीदने का दबाव था, लेकिन पीएम मोदी और सरकार का विचार था कि हमें वही करना है जो हमारे देश के लिए सबसे अच्छा है।”
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