Illegal Business of Selling Cheap Liquor in Expensive Bottles in NCR: दिल्ली से सटे एनसीआर के फरीदाबाद में पुलिस ने एक बड़ा गोरख धंधे का पर्दाफाश किया है। 29 अप्रैल को पुलिस फरीदाबाद में चरण सिंह के घर के तहखाने में घुसी। जहां देखा कि बड़ी संख्या में हाई ब्रांड वाली व्हिस्की की बोतले रखी थीं। इनमें सिंगल माल्ट, ब्लैक लेबल, ग्लेनलिवेट, मैकलन समेत कई ब्रांड शामिल थे। ये भारत में महंगी व्हिस्की वाले ब्रांड हैं। इतना ही नहीं चरण सिंह के घर से पुलिस ने भारी मात्रा में बोतलों के ढक्कन, कॉर्क, स्टीकर, विनाइल लेबल, बड़ी सीरिंज जैसे सामान भी बरामद किए हैं। इसके साथ ही फरीदाबाद और गुरुग्राम में कई शराब की दुकानों पर ‘ऑफर वाली दारू’ का खेल भी खुल गया है।
न्यूज साइट एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चरण सिंह पिछले 12 वर्षों से अपने घर के बेसमेंट में एक अवैध रीबॉटलिंग यूनिट चला रहा था। इसमें वो सस्ती व्हिस्की को महंगे ब्रांडों वाली बोतलों में डालकर सील करता था। इसके बाद वह इन बोतलों को फरीदाबाद की 18 शराब दुकानों में बेच दिया करता था। ऐसे में अगर आप दुकानों से महंगी शराब की बोतलें खरीद रहे तो जरा संभल जाएं।
एक बोतल पर दुकान की 1000 रुपये की कमाई
जांच में ये भी सामने आया है कि ग्राहक को विश्वास दिलाया जाता है कि उन्होंने भारी छूट पर व्हिस्की की एक प्रीमियम बोतल खरीदी है और अब उन्हें काफी कम कीमतों पर बेच रहे हैं। बताया गया है कि ब्लैक लेबल की 750 मिलीलीटर की बोतल की कीमत लगभग ₹ 3,000 है, लेकिन गुरुग्राम में कई ऑनलाइन विक्रेता और स्टोर इसे ₹ 1,800 में बेच रहे हैं। इसके बाद दुकानदार को एक बोतल पर करीब 1000 रुपये की बचत होती थी।
ऐसे होता था काम
पुलिस की जांच में पता चला है कि आरोपी एक स्क्रैप डीलर से ₹ 300 में महंगी शराब की एक बोतल खरीदता था। वे इसे साफ करते हैं, एक नया लेबल लगाते हैं। इसके बाद बोतल पर ढक्कन लगाते हैं। इस काम में करीब 50 रुपये का खर्चा आता था। फिर आखिर में उस बोतल में 350 रुपये कीमत वाली व्हिस्की डालकर सील कर देते थे। इस तरह से एक बोतल तैयार करने में करीब 750 रुपये का खर्चा आता था, जिसे वह 1800 रुपये में बेचता था।
धीरे-धीरे पूरे एनसीआर में बना रहा था पैठ
रिपोर्ट में बताया गया है कि आरोपी अपने इस अवैध धंधे को पूरे एनसीआर में फैला रहा था। फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में शराब की दुकानों में अपनी पैठ बना रहा था। इसके लिए आरोपी ने स्क्रैप डीलरों, लेबल बनाने वाले, शराब की दुकानों के मालिकों और बार मैनेजरों के बीच गठजोड़ बनाने में जुटा था।दिल्ली उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों और एक राष्ट्रीय रेस्तरां संघ के सदस्य ने दावा किया कि प्रीमियम शराब की बोतलों में सस्ती शराब डालने का अवैध काम आम है, लेकिन यह ज्यादातर विनियमित शराब बाजार (लाइसेंस प्राप्त खुदरा विक्रेताओं, लाइसेंस प्राप्त होटल, क्लब और रेस्तरां) के बाहर होता है।
गुरुग्राम में 50 से रीबॉटलिंग यूनिट पकड़ीं
गुरुग्राम के पुलिस उपाधीक्षक (क्राइम) विजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने कम से कम 50 ऐसी अवैध यूनिटों पर कार्रवाई की है। जब्त की गई अधिकांश बोतलें प्रीमियम ब्रांडों की थीं। इनमें चिवस रीगल, रेड लेबल, ग्लेनफिडिच, ग्लेनमोरंगी, ब्लैक लेवल, डबल ब्लैक और जैक डेनियल समेत अन्य ब्रांड शामिल थे। डियाजियो इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि वैश्विक शराब कंपनी जो जॉनी वॉकर, ब्लैक लेबल, रेड लेबल और डबल ब्लैक जैसे ब्रांडों का उत्पादन करती है, ने इस बात से इनकार किया कि इस तरह के नकली उत्पाद बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि ये त्योहारी सीजन से पहले निराधार अफवाहें हैं।
इस खुलासे के बाद मीडिया रिपोर्ट में एक स्क्रैप डीलर का भी पक्ष सामने आया है। इसमें स्क्रैप डीलर ने बताया है कि हाल ही में ₹ 1.87 लाख में 625 खाली महंगी शराब की बोतलें बेचीं, हैं। खुलासा इस बात का भी हुआ है कि एक बार क्लब का मालिक गुप्त रूप से हर रात इन खाली बोतलों को बेचता है।