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गलवान और सियाचिन में हाई स्पीड इंटरनेट, पहली बार 4जी और 5जी की मिली सुविधा 

5G Connectivity in Galwan and Siachen: गलवान घाटी और सियाचिन ग्लेशियर जैसी दुर्गम जगहों पर 4जी और 5जी कनेक्टिविटी शुरू हो गई है। यह पहल भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने की है। इससे सैनिकों और दूर दराज में रहने वाले ग्रामीणों को बड़ा फायदा पहुंचेगा।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 20, 2025 13:16
Army gets access to 4G and 5G in Galwan and Siachen
गलवान और सियाचिन में हाई इंटरनेट स्पीड। (फोटो क्रेडिट X @NewsIADN)

गलवान और सियाचिन ग्लेशियर सहित दुनिया के कुछ सबसे दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिक अब अपने प्रियजनों के साथ संपर्क में रह सकते हैं, क्योंकि लद्दाख क्षेत्र में हाई-स्पीड मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा मिलनी शुरू हो गई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब दुनिया के सबसे दुर्गम इलाकों जैसे डीबीओ, गलवान, डेमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों तक 4जी और 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा पहुंची है। यह पहल भारतीय सेना की लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स (14वीं) ने की है।

सैनिकों का बढ़ा मनोबल

अधिकारियों ने बताया कि पहली बार गलवान और सियाचिन ग्लेशियर सहित दुनिया के कुछ सबसे दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिक अब अपने परिवार और प्रियजनों के साथ संपर्क में रह सकते हैं। सेना ने शनिवार को कहा, ‘यह पहल 18,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर अलग-थलग सर्दियों के कट-ऑफ पोस्टों पर सेवारत सैनिकों के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला साबित हुआ है, जिससे उन्हें अपने परिवारों और प्रियजनों के साथ जुड़े रहने में मदद मिली है।’ अधिकारियों ने कहा कि दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), गलवान, डेमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर जैसे इलाकों में तैनात सैनिकों को अब विश्वसनीय 4 जी, 5 जी कनेक्टिविटी तक पहुंच प्राप्त होगी।

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लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने कही ये बात

सेना ने इस कदम को पूर्वी लद्दाख, पश्चिमी लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर के फॉरवर्ड लोकेशन सहित लद्दाख के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में डिजिटल दूरी को कम करने और दूरदराज के समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम बताया। रक्षा मंत्रालय के जम्मू स्थित पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल के एक बयान में कहा गया है कि ‘सियाचिन ग्लेशियर पर 5 जी मोबाइल टॉवर की सफल स्थापना विशेष रूप से ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। यह सफलता भारत की तकनीकी शक्ति और संकल्प को प्रदर्शित करता है।’

फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने मुख्य भूमिका निभाई 

बयान में कहा गया है, ‘यह अग्रणी प्रयास संपूर्ण सरकारी ढांचे के तहत एक सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से संभव हुआ है, जिसमें भारतीय सेना ने अपने मजबूत ऑप्टिकल फाइबर केबल बुनियादी ढांचे का लाभ उठाते हुए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के साथ साझेदारी की है। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इस तालमेल को संभव बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिसके परिणामस्वरूप सेना के बुनियादी ढांचे पर कई मोबाइल टावरों की स्थापना की गई है, जिनमें अकेले लद्दाख और कारगिल जिलों में 4 प्रमुख टावर शामिल हैं।’

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बता दें कि साल 2020 में चीन के साथ हुई गलवान घाटी की झड़प के दौरान पूर्वी लद्दाख में मोबाइल कनेक्टिविटी को पूरी तरह बंद कर दिया गया था। ऐसा सुरक्षा के मद्देनजर किया गया था, लेकिन पिछले साल अक्टूबर में चीन के साथ हुए डिसएंगेजमेंट समझौते के बाद से पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर है। ऐसे में सेना ने एलएसी की फॉरवर्ड लोकेशन में 4जी और 5जी सुविधा शुरु कर दी है।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Apr 20, 2025 10:58 AM

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