Gaganyaan Mission Test Flight Launching Problem: इसरो ने आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से गगनयान मिशन की पहली टेस्टिंग फ्लाइट लॉन्च करके और इस प्रोजेक्ट को सक्सेसफुल करके इतिहास रचा है। खराब मौसम के कारण देरी से लॉन्च हुई, लेकिन प्रोजेक्ट सफल हो गया है, लेकिन लॉन्चिंग से ठीक 5 सेकेंड पहले ‘गगनयान मिशन’ की पहली टेस्ट फ्लाइट होल्ड कर दी गई थी। इसके पीछे खराब मौसम का हवाला दिया गया, लेकिन वास्तव में ऐसा क्या हुआ था कि फ्लाइट होल्ड करनी पड़ी, इस पर इसरो चीफ S. सोमनाथ का बयान सामने आया है, जानिए उन्होंने क्या बताया…
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17 किलोमीटर ऊपर जाकर धरती पर लौटा
इसरो चीफ ने बताया कि तकनीकी कारणों से टेस्ट फ्लाइट को होल्ड किया गया था। लिफ्ट-ऑफ का प्रयास आज नहीं किया जा सका है। इंजन इग्निशन नॉमिनल कोर्स में नहीं लॉन्च नहीं हुआ हैद्ध। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या गलत हुआ। गगनयान को ले जाने वाला व्हीकल सुरक्षित है। कंप्यूटर फंक्शनिंग ने लॉन्चिंग को रोक दिया था, जिसे ठीक किया गया और दूसरे प्रयास में लॉन्चिंग सक्सेसफुल हुई। टेस्ट के तहत क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस में लॉन्च किया गया। करीब 17 किलोमीटर ऊपर जाकर यह धरती पर वापस लाकर बंगाल की खाड़ी में उतरा, जिसे नेवी ने रिकवर कर लिया। गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट सफल रही। इसके बाद 3 और टेस्ट डी-2, डी-3, डी-4 किए जाएंगे।
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2024 में 3 लोगों को गगनयान में भेजा जाएगा
साल 2024 में गगनयान मिशन के तहत 3 लोगों को 3 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। 3 एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) को धरती के लोअर ऑर्बिट में भेजने की कोशिश की जाएगी। गगनयान 3 दिन पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा। इसकी समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की जाएगी। 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक टेस्ट फ्लाइट जाएगी। गगनयान मिशन करीब 10 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। इसके लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है। अभी तक इस पर 3 हजार करोड़ खर्च किये जा चुके हैं। वहीं गगनयान को लॉन्च करने के लिए बाहुबली रॉकेट LVM3 रॉकेट इस्तेमाल होगा। यह इसरो का सबसे पॉवरफुल रॉकेट लॉन्चर है। यह रॉकेट 3 चरणों में काम करता है।