G20 Summit In Delhi Updates Five Big Key Takeaways: दुनिया की निगाहें दिल्ली पर हैं। जी-20 के पहले दिन का कार्यक्रम खत्म हो चुका है। पहला दिन भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। दिल्ली घोषणा पत्र पर दुनिया के ताकतवर देशों के बीच सर्वसम्मति बनाकर इतिहास कायम किया तो 55 देशों वाले अफ्रीकन यूनियन को पूर्ण सदस्यता मिली। अब जी-20 दुनिया का सबसे विशाल और समावेशी मंच हो गया है। चीन के बीआरआई को टक्कर देने के लिए अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और खाड़ी और अरब राज्यों को जोड़ने वाले रेल और शिपिंग कनेक्टिविटी नेटवर्क का शुभारंभ हुआ।
शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में दो सेशन हुए। पहला सेशन वन अर्थ थीम पर था, जिस पर चर्चा हुई। दूसरे सेशन में वन फैमिली पर बात हुई। वसुधैव कुटुम्बकम की थीम पर हो रहे इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने सुबह ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक का गर्मजोशी से स्वागत किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापान के पीएम फुमियो किशिदा के साथ पीएम मोदी की क्रेमिस्ट्री देखने को मिली।
G-20 में शामिल हुआ अफ्रीकन यूनियन
◆ यूनियन के नेताओं ने पीएम मोदी को लगाया गले @_AfricanUnion | #G20India2023 #G20SummitDelhi pic.twitter.com/3usjQ3wfp7
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G-20 शिखर सम्मेलन की 5 बड़ी बातें
दिल्ली घोषणापत्र को चीन और रूस के साथ सहमति में अपनाया गया। राष्ट्रों से अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने का आह्वान किया, जिसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली शामिल है।
पीएम मोदी ने स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने की घोषणा की। इसमें डीजल-पेट्रोल के विकल्पों को तलाशने पर वैश्विक स्तर पर सहमति बनी।
अफ्रीकन यूनियन को जी-20 को बतौर नया स्थायी सदस्य बनाया गया। यह जी-20 का 21वां सदस्य बना है।
अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और खाड़ी और अरब राज्यों और यूरोपीय संघ को जोड़ने वाले व्यापक रेल और शिपिंग कनेक्टिविटी नेटवर्क की घोषणा की गई। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसने पाकिस्तान, केन्या, जाम्बिया, लाओस और मंगोलिया जैसे कई विकासशील देशों को भारी कर्ज में डाल दिया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को चर्चा में शामिल किया गया। साफ कहा गया कि परमाणु का इस्तेमाल किसी भी परिस्थिति में नहीं होगा। आतंकवाद पर चर्चा की। दिल्ली घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन के ऊपर भी विस्तार से जिक्र है। इससे पश्चिम देशों को संदेश देने की कोशिश की गई।
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