Collegium System: भारत के कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए जा रहे सवालों को पूर्व CJI यूयू ललित ने विराम लगाया है। मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा जब उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की बात आती है, तो उच्च न्यायालय में कॉलेजियम 1+2 की सिफारिश करता है, तो यह सिफारिश राज्य सरकार के पास जाती है। सरकार से इनपुट भी रिकॉर्ड में लाया जाता है, फिर मामला केंद्र सरकार तक पहुंचता है।
Through this kind of methodology, in the last Collegium we could recommend 250 such appointments which ultimately got appointed. So therefore this process is well established and accepted: Former CJI UU Lalit on the Collegium issue
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) November 13, 2022
आगे कॉलेजियम मुद्दे पर पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने कहा केंद्र संबंधित व्यक्ति के प्रोफाइल के बारे में खुफिया ब्यूरो से जानकारी मांगती है। फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचता है। जहां हम कंसल्टिंग जजों की राय ली जाती है। इसके बाद कॉलेजियम सिफारिश करना शुरू करता है जो हाईकोर्ट की सिफारिशों के अलावा किसी अन्य नाम की सिफारिश नहीं कर सकता।
250 नियुक्तियों की सिफारिश की
आगे वह बोले इस तरह की कार्यप्रणाली के जरिए पिछले कॉलेजियम में हम 250 ऐसी नियुक्तियों की सिफारिश कर सकते थे, जो आखिरकार नियुक्त हो गईं। इसलिए यह प्रक्रिया अच्छी तरह से स्थापित और स्वीकृत है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को केंद्र की ओर से अदालतों में जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की थी। कॉलेजियम की ओर से हाईकोर्ट और उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति को लेकर नाम सुझाए गए हैं लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। जस्टिस संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली बेंच ने कानून सचिव से इस पर जवाब मांगा था। अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि नामों को होल्ड पर रखना स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। ऐसा करने से ये लोग अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर होने लगते हैं और यह पहले भी हो चुका है। इस प्रक्रिया पर रोक लगनी जरूरी है। इस मामले को लेकर एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु की ओर से याचिका दायर की गई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। अदालत में इस मामले की सुनवाई के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग इस पर अपनी-अपनी राय दे रहें हैं।