Farmers Protest: किसान आंदोलन 2.0 की आग पूरे देश में फैली हुई है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में किसान संगठन अपने मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 16 फरवरी को किसानों ने भारत बंद (ग्रामीण) का ऐलान किया है। इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार के प्रतिनिधियों के साथ चंडीगढ़ में किसान संगठनों के नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान पंजाब के सीमएम भगवंत मान भी मौजूद रहे।
#WATCH | Union Ministers Piyush Goyal, Arjun Munda, Nityanand Rai and Punjab CM Bhagwant Mann hold a meeting with farmer leaders, in Chandigarh.
---विज्ञापन---(Video: CM Bhagawant Mann PRO) pic.twitter.com/3mCx30DXbd
— ANI (@ANI) February 15, 2024
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पिछले लंबे समय से सुलग रही थी आग
क्या आपको पता है कि किसान आंदोलन 2.0 खड़ा करने के पीछे पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल का बड़ा रोल है। जानकारों के अनुसार दोनों किसान नेताओं के लीडरशिप में ही देशभर के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले लंबे समय से किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी चल रही थी। इन दोनों नेताओं ने पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग जिलों में जाकर किसानों को एकजुट करने का काम किया है। जिसका ही नतीजा है कि आज किसान आंदोलन इतने बड़े स्त्तर पर दिख रहा है।
सरकार और किसान संगठनों की बीच आज की बैठक की तस्वीर। आज की बैठक निर्णायक हो सकती है।#FarmerProtest2024 @news24tvchannel pic.twitter.com/aXm3aERF1Y
— Prabhakar Kumar Mishra (@PMishra_Journo) February 15, 2024
अमृतसर के किसान परिवार से पंधेर
जानकारी के अनुसार सरवन सिंह पंधेर मूल रूप से अमृतसर के रहने वाले हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंधेर ने पंजाब के अलग-अलग 16 जिलों में किसानों को जोड़ने का काम किया। बेहद सरल और शांत स्वभाव के पंधेर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के पैरोकार हैं।
साल 2022 में डल्लेवाल ने की थी भूख हड़ताल
जानकारी के अनुसार जगजीत सिंह डल्लेवाल फरीदकोट जिले के डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं। वह साल 2022 में उस समय सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने किसानों की मांगों को लेकर कई दिन भूख हड़ताल की थी। उनकी लीडरशिप में ही पंजाब के 50 से अधिक संगठनों ने दिल्ली कूच किया है। वह लंबे समय से किसानों की मांगों को लेकर काम कर रहे हैं। वह राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं और हमेशा किसान हितों में काम करने वाले संगठनों के साथ खड़े दिखते हैं।