PM Modi 5 countries visit diplomatic significance: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से 5 देशों की कूटनीतिक यात्रा के लिए पहले घाना के लिए रवाना हो गए हैं, जो भारत की विदेश नीति की व्यापक रणनीति और वैश्विक मंच पर उसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। यह दौरा अफ्रीका से लेकर लैटिन अमेरिका तक फैला है, जहां भारत निवेश, ऊर्जा, रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को एक नई दिशा देने जा रहा है प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि घाना में 30 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
PM @narendramodi embarks on a five-nation visit to Ghana, Trinidad & Tobago, Argentina, Brazil and Namibia. pic.twitter.com/dukjtVAhs0
---विज्ञापन---— PMO India (@PMOIndia) July 2, 2025
वहीं त्रिनिदाद और टोबैगो में 1999 के बाद प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। अर्जेंटीना में 57 साल बाद पहली प्रधानमंत्री यात्रा वहीं, नामीबिया में मोदी की पहली और तीसरी प्रधानमंत्री लेवल की यात्रा है। वहीं, ब्राजील में पीएम मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 से 9 जुलाई 2025 तक 5 देशों की यात्रा का कूटनीतिक महत्व भारत की वैश्विक रणनीति, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने के संदर्भ में अहम है। यात्रा के प्रमुख कूटनीतिक मायने निम्नलिखित हैं:
🟥 Countries visited by Narendra Modi
⬜️ His bucket list
Sincerely praying for Modiji’s good health and strong GST collections so that one day we can paint the entire map red. pic.twitter.com/q9bg14MAWU
— Congress Kerala (@INCKerala) July 2, 2025
दुनिया में मजबूत हो भारत की स्थिति
प्रधानमंत्री मोदी की 5 देशों की यात्रा भारत की ग्लोबल साउथ नीति का हिस्सा है। इस नीति के तहत भारत का उद्देश्य अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना है। घाना और नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों को गहरा करने से भारत को अफ्रीकी संघ (AU) और ECOWAS जैसे क्षेत्रीय संगठनों में प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इसी तरह, त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ संबंध CARICOM जैसे क्षेत्रीय मंचों में भारत की भूमिका को मजबूत करेंगे।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन भारत के लिए महत्वपूर्ण
ब्राजील में 6-7 जुलाई को होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। यह मंच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है और भारत को वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर देता है। हाल के आतंकी हमलों (जैसे पहलगाम हमला) के बाद, भारत ब्रिक्स मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एकीकृत रुख की मांग कर सकता है।
चीन के असर को संतुलित करना
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की उस रणनीति का हिस्सा है जो अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में काम करती है। घाना और नामीबिया में चीन के निवेश और कर्ज-आधारित कूटनीति के जवाब में, भारत व्यापार, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाकर इन देशों के साथ मजबूत संबंध स्थापित कर रहा है।
किस देश का दौरा किसलिए अहम?
घाना: पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत घाना से हुई है, जहां वे 2-3 जुलाई तक रुकेंगे। घाना के राष्ट्रपति नाना अकुफो-एड्डो से मुलाकात में व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और वैश्विक मंचों पर तालमेल जैसे अहम विषयों पर चर्चा होगी। भारत और घाना के बीच 3.1 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार होता है, जिसमें सोने का आयात प्रमुख है। इस यात्रा से कृषि, आईटी और रक्षा सहयोग में नए अवसर खुलेंगे।
यह यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों को नई ऊर्जा देने वाली है। भारत अब महज विकास सहायता नहीं, बल्कि साझेदार के रूप में अफ्रीकी देशों के साथ खड़ा होना चाहता है । जहां संसाधनों, रक्षा और हरित ऊर्जा पर दीर्घकालिक साझेदारी हो। यह यात्रा डायस्पोरा डिप्लोमेसी का हिस्सा है । यानी विश्वभर में बसे भारतीयों से भावनात्मक और रणनीतिक जुड़ाव बढ़ाना। यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति को भी सशक्त बनाता है।
त्रिनिदाद और टोबैगो: 3-4 जुलाई को पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर रहेंगे।भारतीय मूल की 40-45% आबादी के साथ त्रिनिदाद और टोबैगो भारत के लिए सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। 2024-25 में दोनों देशों के बीच 341.61 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ और इस यात्रा से कृषि, फार्मा, और डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
अर्जेंटीना: 4-5 जुलाई को प्रधानमंत्री ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में होंगे। भारत और अर्जेंटीना के बीच इस दौरान कृषि तकनीक, खनिज संसाधन (लिथियम समेत), तेल और गैस, तथा रक्षा उद्योग में साझेदारी को लेकर महत्त्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है। भारत के लिए अर्जेंटीना लिथियम और सोयाबीन तेल जैसे संसाधनों का महत्वपूर्ण स्रोत का काम करेगा। इसके अलावा रक्षा और खनन के क्षेत्र में सहयोग पर जोर दिया जाएगा।
ब्राजील: इसके बाद पीएम मोदी ब्राजील जाएंगे, जहां वे BRICS सम्मेलन (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में हिस्सा लेंगे। भारत इस मंच पर सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि नायक की भूमिका में दिख रहा है। ब्रिक्स के साथ-साथ द्विपक्षीय स्तर पर बायोफ्यूल, रक्षा, और अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने सम्मेलन से पहले कहा, भारत, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए BRICS जैसे मंचों को बेहद महत्वपूर्ण मानता है।” एक ऐसा देश जो विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक ताकतों के सामने प्रमुखता से रख रहा है।
नामीबिया: इस बहुपक्षीय यात्रा का अंतिम पड़ाव होगा नामीबिया 9 जुलाई को। भारत और नामीबिया के बीच वन्यजीव संरक्षण, ऊर्जा सहयोग और रक्षा भागीदारी पर अहम चर्चा होगी। खास बात यह है कि दोनों देशों के बीच पहले से ही चीता प्रोजेक्ट जैसी सफल परियोजनाएं चल रही हैं।खनन, हीरा प्रसंस्करण, और ऊर्जा क्षेत्रों में भारत का निवेश बढ़ा है। व्यापार 2000 में 3 मिलियन से बढ़कर 600 मिलियन डॉलर तक पहुंचा है।