महाराष्ट्र: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और 5 अन्य को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठनों से संबंध के आरोप से बरी कर दिया। गढ़चिरौली कोर्ट ने उन्हें राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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Maharashtra | Nagpur Bench of Bombay High Court acquitted former Delhi University professor GN Saibaba and 5 others from charges of links with banned extremist outfits. The Gadchiroli court had awarded them life imprisonment for anti-national activities.
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) October 14, 2022
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंध के एक मामले में बरी कर दिया। अदालत ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अपील को भी स्वीकार कर लिया जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
पांच अन्य दोषियों को भी किया बरी
जस्टिस रोहित देव और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की पीठ ने मामले में पांच अन्य दोषियों की अपील को भी स्वीकार कर लिया और उन्हें बरी कर दिया। इसने दोषियों को जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, जब तक कि वे किसी अन्य मामले में आरोपी न हों।
साईंबाबा फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्हें 2013 में दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि 2012 में रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (माओवादियों का एक मोर्चा संगठन जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश में प्रतिबंधित है) का एक सम्मेलन था जिसमें साईंबाबा ने भाग लिया था।
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कहा गया था कि साईंबाबा का एक भाषण है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की निंदा करते हैं। अभियोजक ने भी दावा किया था कि साईंबाबा नेपाल और श्रीलंका जैसे विभिन्न देशों के माओवादियों के संपर्क में थे।
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