Eid-Ul-Adha 2025: ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद, ईद-उल-जुहा या बलिदान का पर्व भी कहा जाता है। यह इस्लाम धर्म के लिए खास त्योहार है। यह त्योहार इस्लामी महीने धुल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। इसके मनाए जाने के पीछे पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी है, जो उन्होंने खुदा की राह में दी थी। जब अल्लाह का हुक्म आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करना है, तब पैगंबर इब्राहीम ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। यह इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने में होती है, जिसकी तारीख चांद दिखने पर तय की जाती है। कुर्बानी के इस त्योहार की पूरी कहानी क्या है और भारत में यह त्योहार कब मनाया जाएगा, यहां जानें सबकुछ।
सऊदी अरब में कब होगी ईद?
सऊदी अरब में धुल हिज्जा (इस्लामी कैलेंडर का 12वां महीना) का चांद 27 मई यानी मंगलवार को दिख गया। अरब में बुधवार यानी आज (28 मई) से धुल हिज्जा शुरू हो गया है। सऊदी में चांद दिखने के साथ ही ईद-उल-अजहा का त्योहार शुक्रवार, 6 जून 2025 को मनाया जाएगा।
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भारत में क्या रहेगी ईद की तारीख?
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत अन्य देशों में धुल हिज्जा का चांद आज (28 मई 2025) दिख सकता है। अगर आज चांद दिखता है, तो धुल हिज्जा गुरुवार, 29 मई से शुरू हो जाएगा। इस हिसाब से भारत में ईद-उल-अजहा का त्योहार शनिवार, 7 जून 2025 को मनाया जाएगा। वहीं, अगर आज चांद नहीं दिखता है, तो फिर ईद रविवार 8 जून को मनाई जाएगी।
क्या है कुर्बानी की कहानी?
ईद-उल-अजहा की शुरुआत पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के सपने के साथ हुई। दरअसल, पैगंबर इब्राहीम ने एक सपना देखा, जिसको लेकर उनका कहना था कि अल्लाह का संदेश था कि उन्हें अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करनी है। उनके लिए दुनिया में सबसे अजीब चीज उनके बेटे इस्माइल थे, इसलिए इब्राहीम ने उन्हीं को कुर्बान करने का फैसला किया। इस दौरान शैतान ने उनको बहकाने की कोशिश की। शैतान चाहता था कि वह अल्लाह की बात न मानें और अपने बेटे को बचा लें।
पैगंबर इब्राहीम ने किसी की नहीं सुनी, वह जब इस्माइल की कुर्बानी देने ही वाले थे, तब अल्लाह ने उन्हें रोक लिया और बेटे की कुर्बानी की जगह एक मेमना दे दिया। इसी के बाद से लोग बकरा और भेड़ जैसे जानवरों की कुर्बानी देते हैं।
कैसे मनाई जाती है ईद?
ईद के दिन लोग नहाकर साफ या फिर हैसियत के हिसाब से नए कपड़े पहनते हैं। वह नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में जाते हैं। इस दौरान घर में कुछ मीठी चीजें बनाई जाती हैं। लोग एक-दूसरे के घर ईद की मुबारकबाद देने के लिए जाते हैं और मुंह मीठा करते हैं। इस दिन मुसलमान कुछ पैसों का भी दान करते हैं, जिससे किसी गरीब मुसलमान की ईद फीकी न रह जाए।
अपनी हैसियत के मुताबिक, कुछ लोग बकरा कुर्बान करते हैं, तो कुछ बड़े जानवर में एक हिस्सा ले लेते हैं। कुर्बानी के लिए भेड़, बकरी या ऊंट लिया जाता है। इसमें से कुर्बानी का कुछ हिस्सा गरीबों के लिए रखना जरूरी होता है। यह त्योहार करीब 3 दिनों तक चलता है।
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