Yasin Malik Death Penalty: अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। इसे लेकर हाईकोर्ट ने 9 अगस्त को अगली सुनवाई पर यासीन मलिक को पेश होने को कहा है। यासीन तिहाड़ जेल में है। वह ट्रायल कोर्ट के आदेश पर आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। एनआईए ने टेरर फंडिंग केस में उसके लिए मौत की सजा मांगी है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की पीठ ने 9 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख पर मलिक को अदालत में पेश होने के लिए पेशी वारंट भी जारी किया।
Delhi HC issues notice to Yasin Malik on NIA plea seeking death penalty instead of life term for him in terror funding case
— Press Trust of India (@PTI_News) May 29, 2023
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अदालत ने कुछ भी बोलने से किया इंकार
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यासीन मलिक की तुलना मारे गए अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन से की। मेहता ने कहा कि अगर ओसामा बिन लादेन इस अदालत में होता, तो उसके साथ भी यही व्यवहार होता। इस पर न्यायमूर्ति मृदुल ने कहा कि दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि ओसामा के खिलाफ दुनिया की किसी भी अदालत में कोई मुकदमा नहीं चला। मेहता ने तब कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिका सही था। न्यायमूर्ति मृदुल ने उस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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पिछले साल यासीन मलिक को मिली थी उम्र कैद
24 मई 2022 को एक ट्रायल कोर्ट ने मलिक को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न अपराधों का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मलिक को 2017 में कश्मीर में आतंकी फंडिंग, आतंकवाद फैलाने और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया था।
यासीन मलिक को आजीवन कारावास दो अपराधों के लिए दिया गया था। पहला आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना)। दूसरा मामला आईपीसी की धारा 121 (राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना) से जुड़ा है। इसके तहत न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है जबकि अधिकतम सजा मौत है।
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