Dassault Aviation New Plan: डसॉल्ट एविएशन ने भारतीय लड़ाकू विमानों को लेकर खास प्रोजेक्ट तैयार किया है। एविएशन ने फ्रांसीसी मूल के भारतीय वायुसेना में शामिल लड़ाकू विमानों के लिए यूपी के एक शहर में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा शुरू करने का फैसला लिया है। जिसके तहत इंडियन एयरफोर्स में 1980 के दशक में शामिल 50 मिराज 2000 विमानों का रखरखाव किया जाएगा। हाल के वर्षों में शामिल राफेल के 36 विमानों को भी प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया जाएगा। डसॉल्ट एविएशन ने एमआरओ के लिए नोएडा शहर का चयन किया है। भारत की ओर से INS विक्रांत के लिए भी 26 राफेल मरीन विमानों की खरीद को लेकर बातचीत चल रही है।
बड़े सौदे की तैयारी
वर्तमान समय में INS विक्रांत की डेक में मिग-29K विमान शामिल हैं। अगर बात सिरे चढ़ी तो राफेल मरीन विमानों का सौदा लगभग 50 हजार डॉलर (41,80,850 रुपये) में तय हो जाएगा। ये दोहरे इंजन वाले डेक आधारित विमान हैं, जो समुद्र में निरंतर युद्ध संचालन के लिए बनाए गए हैं। इससे भारत की समुद्री ताकत में इजाफा होगा।
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भारतीय रक्षा अधिकारियों के मुताबिक फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन मेंटेनेंस रिपेयर एंड ओवरहाल इंडिया (DASROI) ने एमआरओ बनाने के बारे में सूचना दी है। जिसके तहत फ्रांसीसी मूल के लड़ाकू विमानों का रखरखाव किया जाएगा। डसॉल्ट एविएशन ने इसको लेकर रक्षा मंत्रालय से संपर्क साधा है। यूपी के नोएडा में औद्योगिक इलाके में यह स्थापित किया जाएगा। हालांकि जगह को लेकर अभी चयन किया जाना है।
🚨Dassault has informed defense ministry & IAF on
🔹Setting up an MRO in Noida, UP
🔹Will form a new company DAMROI – Dassault Aviation maintenance Repair & Overhaul India, headed by Indian national
🔹Will scale up the MRO activities at DAMROI#noida #rafale #dassault #DAMROI pic.twitter.com/hb2r0kDqSm— Noida_Updates (@NoidaUpdatesX) September 24, 2024
लंबे समय तक वायुसेना को मिलेगी मदद
कंपनी ने रक्षा मंत्रालय को जानकारी दी है कि भारत में डसॉल्ट के पुराने प्रतिनिधि पोसिना वेंकट राव को नई कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनाया जाएगा। बता दें कि राव कई दशकों से भारत में डसॉल्ट एविएशन से जुड़े मामलों को देख रहे हैं। उनकी टीम में फ्रांसीसी और भारतीय दोनों देशों के नागरिकों को शामिल किया जाएगा।
डसॉल्ट का कहना है कि अगर भारतीय वैमानिकी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र (Indian Aeronautical Industrial Ecosystem) का सहयोग उनको मिलता रहा तो जल्द DAMRO तकनीक को MRO में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। जिससे फ्रांसीसी मूल के विमानों की आयु में इजाफा हो जाएगा। वे लंबे समय तक भारतीय वायुसेना के काम आ सकेंगे। बता दें कि भारतीय वायुसेना ने फिलहाल अंबाला और हाशिममारा में राफेल विमानों के दो बेस तैयार किए हैं।
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