भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में बने 9 आतंकी कैंप बर्बाद, 11 एयरबेस तबाह हो गए। 4 दिन में पाकिस्तान की 20 प्रतिशत हवाई शक्ति खत्म हो गई। भारत की तरफ दागा गया पाकिस्तान का हर चीनी हथियार खोखला साबित हुआ। तुर्किये के ड्रोन भी भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेद नहीं पाए। लेकिन पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से तुर्किये और चीन खुल कर पाकिस्तान के समर्थन में आए उसने भारत को सतर्क कर दिया है।
दरअसल, चीन, पाकिस्तान और तुर्किये का त्रिकोण भारत के लिए खतरे की नई घंटी है। क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने जिन हथियारों का इस्तेमाल किया है वो या तो चीन का दिया हुआ है, या तुर्किये का। और इस बात की पुष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना भी कर चुकी है। भारतीय सेना ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पाकिस्तानी हथियारों की जो तस्वीरें दिखाई उसमें पाकिस्तान को चीन से मिली मिसाइलें और तुर्किए से मिले ड्रोन मिट्टी में मिले हुए दिखाई दिए।
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चीन से मिले 3 बड़े हथियारों का ऐसे हश्र
चीन, पाकिस्तान और तुर्किये का यह गठजोड़ न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि मध्य पूर्व और यूरेशिया की सियासत पर भी असर डाल रहा है। क्या यह गठबंधन भारत के लिए भी चुनौती है। खास कर हथियारों के मामले में चीन ने पाकिस्तान की बड़ी मदद की। पाकिस्तान को चीन से मिले उन 3 बड़े हथियारों के बारे में जान लीजिए जो भारत शक्ति के सामने बिखर गए।
चीनी हथियार
1) पहले हथियार का नाम है PL-15 मिसाइल
2) दूसरा है HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम
3) और तीसरा JF-17 फाइटर जेट
आसिम मुनीर को उम्मीद थी कि चाइनीज डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान को किसी भी हवाई हमले से बचा लेगा, लेकिन चीन का घटिया HQ9- एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान को ले डूबा। यही हाल PL-15 मिसाइल का भी हुआ। PL-15E मिसाइल का ये मलबा पंजाब के होशियारपुर में मिला था। पाकिस्तान के जेट JF-17 को हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने इसे हवा में ही नष्ट कर दिया। यानी ये साबित हो गया कि चीन ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान की खुल कर मदद की। यहां तक कि इस दौरान चीन ने ये भी बयान दिया कि वो पाकिस्तान की संप्रभुता के साथ खड़ा है।
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तुर्किए से मिला ड्रोन भी निकला खिलौना
सिर्फ चीनी ही नहीं बल्कि भारत ने तुर्किए से मिले ड्रोन को भी पाकिस्तान की सेना का खिलौना सबित कर दिया। इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के जिस कामिकाजी ड्रोन को अमृतसर के पास मार गिराया, वो तुर्किये में बना Byker YIHA III ड्रोन था। ये हल्का ड्रोन हाई एक्सप्लोसिव पेलोड ले जाने में सक्षम है। तेज और कम ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। इसे मिलिट्री ठिकानों या सिविल क्षेत्रों पर भारी क्षति पहुंचाने के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
स्वदेशी क्षमता के आगे विदेशी फुस्स
भारत के डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि इस ड्रोन का हमने क्या हश्र किया है, आपने खुद ही देखा है। उन्होंने कहा कि हमारे सिस्टम और ट्रेंड एयर डिफेंस ऑपरेटर पूरी तरह सक्षम हैं। हमारे देश की जो स्वदेशी क्षमता है, काउंटर ड्रोन के लिए, उसने दिखा दिया है कि चाहे किसी भी तरह की टेक्नॉलजी आ जाए, हम उसे काउंटर करने के लिए तैयार हैं।
तुर्किये खुद को इस्लामी दुनिया का नया लीडर मानता है। वो पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत कर रहा है। तुर्किये के ड्रोन और हथियार, जो अजरबैजान-अर्मेनिया युद्ध में अपनी ताकत दिखा चुके हैं, अब पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। इसके अलावा, तुर्किये की भारत विरोधी बयानबाजी इस नापाक गठजोड़ को और पुख्ता कर रही है।
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तिकड़ी को मुंहतोड़ जवाब देगा भारत
चीन, पाकिस्तान और तुर्की का गठजोड़ कोई नया नहीं है। इस त्रिकोण का आधार है – आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक हित। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती तो ‘पहाड़ों से ऊंची और समुद्र से गहरी’ मानी जाती है। दूसरी ओर, तुर्किये की बढ़ती महत्वाकांक्षा और इस्लामी दुनिया में उसकी नेतृत्व की चाहत ने उसे इस गठजोड़ का हिस्सा बनाया है।
दरअसल आर्थिक ताकत, पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और तुर्किये की सैन्य तकनीक का मेल एक रणनीतिक घेराबंदी की कोशिश है। लेकिन भारत की बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य ताकत ने इसे नाकाम कर दिया है। भारत चुप नहीं बैठा है। क्वाड, अमेरिका और यूरोप के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी, और मध्य पूर्व में सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के साथ बढ़ते संबंध भारत की जवाबी रणनीति का हिस्सा हैं। भारत की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत इस गठजोड़ को कड़ी चुनौती दे सकती है।