Martyr Status During Leave: श्रीनगर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 मासूम लोगों की जान चली गई है और 17 से ज्यादा घायल हैं। इस आतंकी हमले में नौसेना के अधिकारी विनय नरवाल और भारतीय वायुसेना के अधिकारी कार्पोरल टागे हैलियांग की भी मौत हो गई है। दोनों अधिकारी छुट्टी पर थे और अपनी पत्नी के साथ कश्मीर घूमने गए थे। विनय नरवाल की तो शादी के 6 दिन बाद ही मौत हो गई जो अपनी पत्नी के साथ वहां हनीमून मनाने के लिए गए थे। आतंकियों ने सिर्फ धर्म पूछा और हिंदू कहने पर गोली मार दी। इन जवानों की मौत की खबरों में बलिदान शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या छुट्टी के दौरान आए जवानों की मौत को बलिदान का दर्जा मिलता है या नहीं? जानें क्या कहता है सेना का नियम?
छुट्टी के दौरान मौत होने पर मिलता है बलिदान का दर्जा?
ये तो कंफर्म है ही कि जो जवान सीमा पर दुश्मनों से लड़ते हुए या युद्ध में, आतंकवादी, उग्रवादी और नक्सलवादियों के खिलाफ लड़ते हुए मारे जाते हैं उन्हें बलिदान का दर्जा मिलता है। उनके परिवार वालों को सेना की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। मगर सवाल ये उठता है कि जो जवान छुट्टी पर आते हैं और उनकी मौत हो जाती है उन्हें बलिदान का दर्जा मिलता है या नहीं? रिपोर्ट के अनुसार, जो जवान छुट्टी के दौरान आतंकी हमले में मारे जाते हैं उन्हें भी बलिदान का दर्जा मिलता है।
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किन जवानों को नहीं मिलता बलिदान का दर्जा
जानकारी के लिए बता दें कि किन जवानों को बलिदान का दर्जा नहीं मिलता है। दरअसल जो जवान छुट्टी के दौरान किसी बीमारी में मर जाते हैं या वो आत्महत्या कर लेते हैं उन्हें बलिदान का दर्जा नहीं मिलता है। हां जिन जवानों की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है उन्हें बलिदान का दर्जा देने के कुछ नियम होते हैं। जैसे कि बटालियन से वो कितने किलोमीटर दूर है या फिर छुट्टी लेकर घर गया है तो अपने घर से कितने किलोमीटर दूर है।
बलिदान हुए जवानों को मिलती हैं ये सुविधाएं
अब ये भी जान लेते हैं कि बलिदान देने वाले जवानों को क्या सुविधाएं मिलती है। जान लें कि जो जवान देश के लिए बलिदान हो जाते हैं उनकी पत्नी को वेतन मिलता है। बलिदान देने वाले के परिवार वालों को हवाई और रेल के किराए में 50 प्रतिशत की छूट मिलती है। साथ ही राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती है और घर के सदस्य को नौकरी दी जाती है।
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