भारत-श्रीलंका के बीच सीधे रेल संपर्क के लिए सिर्फ 25 किलोमीटर लंबे पुल की आवश्यकता है। भारत में बना पम्बन ब्रिज चेन्नई से कोलंबो तक सीधी ट्रेन के लिए एक मुख्य हिस्से को जोड़ने का काम करता है। इससे भारत-श्रीलंका रेल के माध्यम से बिजनेस और संबंधों दोनों को बढ़ावा देगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2 किलोमीटर लंबे नए पम्बन ब्रिज का उद्घाटन किया गया और श्रीलंका में बन रहा नया पुल पूरा होते ही पड़ोसी देश के लिए सीधी ट्रेन मिल जाएगी। अभी अगर आप भी कोलंबो जाना चाहते हैं तो चेन्नई के एग्मोर स्टेशन से इंडो-सीलोन एक्सप्रेस में बैठकर सीधे पूर्वी तटीय मैदानों से होते हुए पम्बन ब्रिज को पार करके रामेश्वरम धनुषकोडी पहुंचे। जो कि आखिरी भारतीय स्टेशन है। इसके बाद पाक जलडमरूमध्य को पार करके तलाईमन्नार पहुँचें और सीधे कोलंबो के लिए ट्रेन पकड़ें।
5 बिलियन का आएगा खर्च
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि 2024 में भारत के साथ भूमि कनेक्शन का काम पूरा होने वाला है। इसका अब अंतिम स्टेप चल रहा है। अक्टूबर 2024 में एक और बात सामने आई है कि इस योजना को लेकर लोगों में खूब चर्चा हो रही है। श्री लंका के एनवायरमेन्ट सेक्रेटरी बी. के. प्रभात चंद्रकीर्त ने कहा कि पिछले महीने मैंने नई दिल्ली में भारत के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया था। हम भारत और श्रीलंका के बीच रेलवे लाइन और राजमार्ग कनेक्शन स्थापित करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें करीब 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है।
पुराने पम्बन ब्रिज को तबाह कर दिया था चक्रवात ने
बता दें कि 110 साल पुराने 24 किलोमीटर पम्बन ब्रिज को 1964 में आए रामेश्वरम चक्रवात ने तटीय तमिलनाडु को बुरी तरह तबाह कर दिया था। उस समय ज्यादातर लोग मद्रास से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो तक इसी तरह यात्रा करते थे। सन् 1964 में आए चक्रवात ने 110 साल पुराने पम्बन ब्रिज रेलवे पुल को तबाह कर दिया था। जो पम्बन द्वीप का भारत की मुख्य भूमि का एकमात्र सहारा था। लेकिन 150 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने श्रीलंका के तलाईमन्नार से सिर्फ 24 किलोमीटर पशिचम में रामेश्वम और धनुषकोडी को जोड़ने वाली रेलने लाइन को भी बर्बाद कर दिया। जब कुछ पिछली घटनाएं हुईं तो राम की विरासत का जश्न मनाने में हाल ही में फिर से इसमें उछाल और 2026 के तमिलनाडु चुनाव से पहले AIADMK की राजनीतिक मुद्रा का भी संकेत देते हैं। जो भारत और श्रीलंका के बीच एक नया पुल असंभव नहीं है। रामेश्वरम तक रेल संपर्क भारत-श्रीलंका के बीच सीधे रेल के माध्यम से आधार तैयार करने का अवसर प्रदान करता है। इसका मतलब यह है कि रामेश्वरम और मन्नार द्वीप में श्रीलंका के तलाईमन्नार के बीच की खाई को जोड़ना। जिसमें एडम ब्रिज के एक समान पुल या सुरंग शामिल है, जिसे राम सेतु भी कहा जाता है।
पुराने पुल की जगह पर बनाया गया नया पम्बन ब्रिज
बता दें कि 1964 के चक्रवात ने न सिर्फ भारत और श्रीलंका के बीच के कनेक्शन को डिसरप्ट कर दिया। जिससे दोनों देशों और अन्य देशों के बीच अनइन्टरप्टेड(निर्बाध) रेल कनेक्शन जिसकी कल्पना सबसे पहने अंग्रेजो द्वारा की गई थी। 110 साल पुराना यह पुल 1914 में शुरू होने से लेकर 1988 तक जब इस पुल का निर्माण किया गया। पुराने पुल की जगह हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए पुल का उद्घाटन किया गया। इस चक्रवात ने न सिर्फ धनुषकोडी बल्कि श्रीलंका तक रेल संपर्क के सपने को भी चकनाचूर कर दिया। जिससे धनुषकोडी तक रेल की पटरियां तक बह गईं और पम्बन पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।
अंग्रेजों द्वारा भारत-श्रीलंका को जोड़ने का प्रस्ताव
भारत और श्रीलंका को रेलवे लाइन से जोड़ने की योजना ब्रिटिश शासन के दौरान प्रस्ताव आया था। 1830 में एक देश से दूसरे देश से माल ले जाने के लिए लोगों को परेशानी उठानी पड़ती थी। इसलिए यह योजना अंग्रेजों द्वारा दोनों देशों के संपर्क को जोड़ने के लिए था। यह लगभग उस समय था जब ब्रिटिश भारत और ब्रिटिश सीलोन में घरेलू रेलवे प्रणाली विकसित की जा रही थी। सन् 1914 तक दक्षिण भारतीय रेलवे कंपनी ने पम्बन ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर लिया था। जिसके जरिए से मीटर गेज की ट्रेनें धनुषकोडी तक जाती थीं। इसने मल्टी-मॉडल चेन्नई-कोलंबो कनेक्टिविटी के युग की शुरुआत की। धनुषकोडी और श्रीलंका में थलाईमन्नार के बीच सिर्फ अंतिम रेल कनेक्शन ही बचा था।
स्टीमर का उपयोग करके श्रीलंका तक पहुंचते थे
बता दें कि जब थलाईमन्नार तक रेल पुल बनाने का प्रस्ताव ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत किया गया था, तो उस समय पुल में आने वाले खर्च से लोगों की चिंताएं बढ़ा दी थीं जिससे इसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया। इससे लोगों का सपना अधूरा रहने के कारण माल और परिवहन रेल और नौका परिवहन के जरिए से जारी रहा। इंडो-सीलोन बोट मेल सर्विस भारत और श्रीलंका के बीच काफी ज्यादा तालमेल और घनिष्ठ सांस्कृतिक, आर्थिक और संबंधों का प्रतीक बन गई। इस सेवा के तहत ट्रैवलर मद्रास से धनुषकोडी तक ट्रेन से ट्रैवल कर सकते थे। फिर स्टीमर का उपयोग करके पाक जलडमरूमध्य को पार करके श्रीलंका के तलाईमन्नार तक पहुँच सकते थे और फिर रेल द्वारा कोलंबो तक जा सकते थे।
2002 में भारत-श्रीलंका के बीच पहला प्रयास
जुलाई 2002 में भारत-श्रीलंका रेल कनेक्शन के लिए सबसे पहला प्रयास हुआ। जब कोलंबो ने रामेश्वरम से तलाईमन्नार तक सड़क-सह-रेल पुल का प्रस्ताव रखा। लेकिन एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसके बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने इस परियोजना पर लोगों के बीच बहस छिड़ गई। जिससे लोगों ने विरोध प्रदर्शन और काफी हंगामा भी मचाया। लेकिन जयललिता की AIADMK के रहते हुए राजनीतिक स्थिति पुल को लेकर पार्टी के विरोध को कम करने में मदद कर सकती हैं। हालांकि तमिलनाडु में अभी DMK सत्ता में है। तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और AIADMK के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। जयललिता को लगता था कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) शांतिपूर्ण राज्य तमिलनाडु में बंदूक की नोक पर यह आत्मघाती बम विस्फोट तथा इससे बदतर संस्कृति लाएगा। इसके बाद 2011 में जब काठमांडू में एक्सपर्ट ग्रुप की दूसरी बैठक में सार्क मेम्बर रेलवे पर क्षेत्रीय समझौते पर सहमत हुए।