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Chandrayaan-3 इतिहास रचने से है करीब 150 किमी दूर, जानें- 14 जुलाई से अब तक क्या-क्या हुआ

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। इसे एलवीएम-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है। अब तक सबकुछ ठीक से चल रहा है और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है और तय समय के अनुसार आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान […]

Edited By : jp Yadav | Updated: Aug 17, 2023 17:21
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Chandrayaan-3
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Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। इसे एलवीएम-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया है। अब तक सबकुछ ठीक से चल रहा है और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है और तय समय के अनुसार आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान चांद के धरातल पर उतरने वाला है। इसके बाद यह इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। इस बीच 14 जुलाई से इसरो लगातार चंद्रयान -3 को लेकर अपडेट अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर कर रहा है।

अलग हुआ विक्रम लैंडर

मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर और रोवर सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसके बाद करीब 100 किलोमीटर की यात्रा उसे खुद ही तय करनी है। इस तरह चंद्रयान 3 कुल पौने लाख किलोमीटर की यात्रा तय करेगा। अंतिम चरण में चंद्रयान-3 को चांद के चारों ओर दो दफा चक्कर लगाने के दौरान अपनी ऊंचाई के साथ-साथ गति भी कम करनी पड़ेगी।

रफ्तार की जाएगी धीमी

इसरो के मुताबिक, विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग होने के बाद अब शुक्रवार शाम तकरीबन 4 बजे लैंडर को डीबूस्टिंग के जरिए थोड़ी निचली कक्षा में लाने का सफल प्रयास किया जाएगा।  वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके लिए इसकी रफ्तार भी धीमी की जाएगी। इसके बाद यहां से चंद्रमा की दूरी 30 किलोमीटर की ही रह जाएगी। इसके बाद सबसे कम दूरी से ही चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश 23 अगस्त को की जाएगी।

23 अगस्त को इतिहास रचेगा चंद्रयान 3

इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले सप्ताह 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी, इसके साथ ही चंद्रयान-3 इतिहास रच देगा। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा।

यहां पर यह याद दिला देना भी जरूरी है कि इससे पहले कोई भी देश कभी भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंचा है, लेकिन भारत का चंद्रयान-3 यह करने में सफल होगा। इसका पूरा विश्वास है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों के मुताबिक, सेंटर टेलिमेट्री,  ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स से चंद्रयान-3 पर लगातार नजर रखी जा रही है।

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यहां पर बता दें कि 5 अगस्त को शाम 7 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-3 22 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था।  इसके लिए चंद्रयान-3 की गति को कम किया गया था, जिससे वह चंद्रमा की ग्रेविटी में कैप्टर हो सके। चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के साथ ही तस्वीरें भी भेजी थीं। इसके कुछ दिन बाद चंद्रयान-3 ने धरती की भी तस्वीर भेजी थी।  वहीं, 9 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की पहली तस्वीर जारी की थी।
यह भी जानें

चंद्रयान-3 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी के वैज्ञानिकों ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। (14 जुलाई)

22 दिन की यात्रा के बाद चंद्रयान 3 इसी महीने की पांच अगस्त को चंद्रमा की पहली कक्षा में पहुंचा। इसी दिन चंद्रमा की पहली तस्वीर जारी की गई। (5 अगस्त)

ऑर्बिट घटाकर 170×4313 किलोमीटर किया गया। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-3 चांद के दूसरे ऑर्बिट में चला गया। (6 अगस्त)

तीसरी बार ऑर्बिट बदली गई। इस दौरान चंद्रयान चांद की सतह से 174×1437 किमी की ऑर्बिट में घूम रहा था। (7 अगस्त)

यात्रा की कड़ी में चंद्रयान-3 को 150 किलोमीटरx177km की चौथी ऑर्बिट में डाला गया था। यह अगली सफलत थी। (14 अगस्त)

चंद्रयान 3 पांचवीं और अंतिम कक्षा (आर्बिट)  में प्रवेश करने के साथ ही लैंडर प्रोप्लशन मॉड्यूल से अलग हुआ। (17 अगस्त)

First published on: Aug 17, 2023 04:30 PM

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