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Chandrayaan-3 Landing: क्यों विफल हुआ था मिशन चंद्रयान-2, इसरो चीफ सोमनाथ ने अब किया खुलासा

Chandrayaan-3 Landing: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसके लिए इसरो के 50 वैज्ञानिक लगातार तैयारियों में जुटे हैं। इस समय चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। बता दें कि चंद्रयान-2 के फेल होने के तीन साल बाद इसरो ने इस प्रोजेक्ट […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Aug 23, 2023 12:36
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chandrayaan- 3 Landing, Isro Chief tell why chaandrayaan-2 failed
इसरो चीफ एस सोमनाथ और चंद्रयान-2

Chandrayaan-3 Landing: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसके लिए इसरो के 50 वैज्ञानिक लगातार तैयारियों में जुटे हैं। इस समय चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। बता दें कि चंद्रयान-2 के फेल होने के तीन साल बाद इसरो ने इस प्रोजेक्ट को लाॅन्च किया है।

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फाइनल रीबूस्टिंग की प्रकिया रही विफल

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि इसरो ने 2019 में अपने मिशन चंद्रयान-2 की विफलता से सीख लेते हुए इस बार कई बदलाव किए हैं। सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग से पहले रीबूस्टिंग की प्रक्रिया के दौरान यान की गति को कम करने के दौरान यान में लगे 5 इंजनों से अधिक उर्जा पैदा हुई। जिसके कारण यान को सही रास्ते पर लाने के लिए तेजी से मोड़ना पड़ा। हालांकि इसमें लगे सॉफ़्टवेयर ने इसको नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन ये कोशिश नाकाफी थी।

इसरो के पूर्व प्रमुख के सिवन ने बताया कि लैंडर के शुरुआती चरण में अच्छा काम किया। लेकिन रीबूस्टिंग प्रक्रिया में वेग कम करने के दौरान लगे 5 इंजनों ने अधिक उर्जा पैदा की इससे यान की सफल लैंडिंग नहीं हो सकी।

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लैंडिंग साइट के आकार में किया बदलाव

वहीं चंद्रयान-2 के विफलता का तीसरा बड़ा कारण अंतरिक्ष यान को उतारने के लिए बनाई गई 500X500 मीटर की छोटी लैंडिंग साइट। सिवन ने बताया कि विमान का वेग बढ़ाकर वहां पहुंचने की कोशिश की जा रही थी लेकिन यह सतह के करीब था इसलिए वेग बढ़ता गया। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ से बताया कि चंद्रयान-2 में सफलता आधारित डिजाइन के बजाय चंद्रयान-3 की विफलता का इंजन चुना है। हमने लैंडिंग साइट को 500X500 से बढ़ाकर अब 2.5 किमी. कर दिया है। यह कहीं भी उतर सकता है।

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इस बार किए गए ये बदलाव

  1. इस बार के चंद्रयान-3 में कई बदलाव किए गए हैं। इसरो ने पिछले मिशन की तुलना में इस बार लैंडिंग लेग्स मजबूत किए हैं। लैंडिंग के दौरान 3 मीटर/सेकंड की स्पीड होने पर भी ये ब्रेक नहीं होंगे।
  2. इसके साथ ही इस बार के मिशन में ईंधन का बड़ा टैंक बनाया गया है। ताकि लैंडिंग वाली सतह अगर सही नहीं है तो होवर करके उसे दूसरी जगह लैंड कराया जाएगा। इस बार लेजर डाॅपलर वेलोसिटी मीटर सेंसर जोड़ा गया है जो मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग में मदद करेगा।
  3. वहीं इस बार के चंद्रयान में सॉफ्टवेयर भी बदला गया है इसके साथ ही इसकी टाॅलरेंस लिमिट भी बढ़ाई गई है। लैंडिंग के दौरान सॉफ्टवेयर ही निर्णय लेगा।
  4. पिछले बार की तुलना में इस बार के मिशन में 5 की जगह 4 इंजन लगाए गए हैं। इसके साथ ही 200 किलो वजन बढ़ाया गया है इसलिए एक इंजन को हटा दिया गया है। इस बार बेहतर पावन जनरेशन के लिए एक्सटेंडेड सोलर पैनल लगाए गए हैं।

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First published on: Aug 23, 2023 12:35 PM

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