Chandrayaan-3 Camera Designer Anuj Nandi: अमरदेव पासवान, कोलकाता; चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सफलतापूर्वक कदम रखते ही एक तरफ जहां पूरे देश में खुशी और जश्न का माहौल छा गया तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के लोगों को गौरवान्वित कर गया। इसकी एक खास वजह रही। दरअसल, उनके इलाके के रहने वाले साइंटिस्ट अनुज नंदी चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका निभाई है।
पूरी दुनिया देख रही है तस्वीरें
नंदी के द्वारा बनाए गए कैमरे को चंद्रयान-3 में चांद की सतह से तस्वीरें कैद कर इसरो को भेजने के काम में लगाया गया है। उन तस्वीरों को आज देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया देख रही है। यही कारण है कि भारत की इस आपार सफलता की कायल पूरी दुनिया हो गई है। आज देशवासियों के साथ -साथ इस्लामपुर के लोगों को भी चंद्रयान थ्री की लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार था।
गौरवान्वित है परिवार
अनुज के परिवार वाले लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया टीवी पर देख रहें थे। उनकी मां शोभा रानी नंदी चंद्रयान के सफल परिक्षण के बाद से अपने बेटे के प्रयासों की सफलता के लिए भगवान से प्रार्थना कर रही थीं। उन्होंने सफलतापूर्वक लैंडिंग पर कहा- चंद्रयान-3 को सफलता मिले, इसके लिए दिन-रात भगवान से प्रार्थना कर रही थी।
Chandrayaan-3 Mission:
Updates:---विज्ञापन---The communication link is established between the Ch-3 Lander and MOX-ISTRAC, Bengaluru.
Here are the images from the Lander Horizontal Velocity Camera taken during the descent. #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/ctjpxZmbom
— ISRO (@isro) August 23, 2023
अनुज नंदी भी अपने प्रयास में सफल रहे हैं। सफल लैंडिंग और पुत्र की कामयाबी के लिए वह भगवान को बार बार धन्यवाद दे रही हैं। अनुज के चाचा हरेकृष्ण नंदी ने कहा- ”पेशे में अनुज सफल होने के बावजूद वह अपने परिवार को नहीं भूले। वह परिवार से नियमित संपर्क बनाए रखते हैं।”
साधारण घर का लड़का
स्थानीय एक नंबर वार्ड के पार्षद के प्रतिनिधि संजय दत्त ने कहा कि अनुज नंदी एक साधारण घर का लड़का है। वहां से उन्होंने चंद्रयान 3 विक्रम लैंडर के कैमरे पर जिस तरह से काम किया, उस पर इस्लामपुर निवासी के रूप में हमें गर्व है। उन्होंने इस्लामपुर का नाम रोशन किया है।
चाची सुमिता नंदी ने कहा कि परिवार के लड़के की सफलता पर वह लोग काफी खुश हैं। अनुज ने उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर हाई स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रायगंज कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ समय कोलकाता में रहने के बाद से पिछले एक दशक से वह बेंगलुरु स्थित इसरो में काम कर रहे हैं।