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‘नहीं दे सकते दखल…’, कॉन्स्टेबल भर्ती मामले में याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट ने की खारिज; जानें मामला

Calcutta High Court Hearing: पश्चिम बंगाल की कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में दखल की गुंजाइश काफी कम है। याचिका पुलिस भर्ती के संदर्भ में दाखिल की गई थी।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jan 2, 2025 17:25
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Calcutta High Court

Calcutta High Court: पश्चिम बंगाल की कलकत्ता हाई कोर्ट ने पुलिस भर्ती दिशा-निर्देशों में छूट दिए जाने को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में कॉन्स्टेबल के पद पर चयन को लेकर एक अभ्यर्थी ने छूट की डिमांड की थी। अभ्यर्थी की ऊंचाई निर्धारित मानकों से कम थी। न्यायालय ने कहा कि फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट (PST) के रिजल्ट में किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इसमें दखल की गुंजाइश कम है। इसके बाद न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी ने याचिका खारिज करने के आदेश दिए।

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जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि कोर्ट को ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि अभ्यर्थी को किसी प्रकार की छूट दिए जाने के आदेश जारी किए जाएं। भर्ती के समय फिजिकल टेस्ट की प्रक्रिया में सावधानी बरती जाती है। अभ्यर्थी ऊंचाई की जरूरत के हिसाब से चयन और समीक्षा प्रक्रिया में फेल रहा है। इसलिए किसी भी हालत में कोर्ट मामले में दखल नहीं दे सकती है। हारुन मिया नामक अभ्यर्थी ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में बताया गया था कि 2024 में भर्ती प्रक्रिया के लिए रोजगार नोटिस जारी किया गया था।

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उसे CF में कॉन्स्टेबल की भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया जाए। PST के दौरान याचिकाकर्ता की ऊंचाई 169.4CM पाई गई थी। हारून के वकील ने दावा किया था कि मई 2015 में प्रकाशित CF और असम राइफल्स में भर्ती चिकित्सा परीक्षा के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार जिन उम्मीदवारों की ऊंचाई निर्धारित मानकों से कम है। उनको लाभ मिलता है। इसलिए अभ्यर्थी को 0.5 सेमी की छूट का लाभ दिया जाए। लेकिन अभ्यर्थी को छूट दिए जाने के बजाय अयोग्य करार दिया गया।

केंद्र सरकार ने दी ये दलील

इस पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि अगर छूट पर विचार किया भी जाए तो भी याचिकाकर्ता की ऊंचाई कम बैठती है। वहीं, याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के वकीलों ने कहा कि 2015 के दिशा-निर्देश PST चरण में लागू नहीं होते हैं। ये निर्देश साफ तौर पर चिकित्सा जांच का हिस्सा हैं। वकीलों ने यह भी कहा कि ऊंचाई में छूट का लाभ केवल अनुसूचित जनजातियों या कुछ अन्य श्रेणियों के मामलों में दिया जाता है। आवेदक की न्यूनतम ऊंचाई निर्धारित मानक 170 सेमी से कम है। ऐसे में अगर आवेदक को लाभ मिला तो और लोग भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। निर्धारित मानकों का महत्व भी नहीं रह जाएगा।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Jan 02, 2025 05:25 PM

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