Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी। 2024 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के ये आखिरी बजट होगा। आपको पता है कि आजादी से पहले से लेकर 2023 के पेश होने वाले बजट में अब तक क्या और कितना बदलाव आया है? पहली बार बजट कब पेश किया गया था? बजट कहां छपता था? बजट पेश होने का समय क्या था? केंद्रीय बजट में रेल बजट का कब विलय किया गया? इस आर्टिकल में हम आपको इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
7 अप्रैल 1860 को पेश हुआ था पहला बजट
भारतीय प्रशासन का ट्रांसफर 7 अप्रैल 1858 को ईस्ट-इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन को किया गया था। इसके दो साल बाद यानी 7 अप्रैल, 1860 को पहली बार बजट पेश किया गया था। बजट पेश करने वाले पहले वित्त मंत्री जेम्स विल्सन थे।
इसके बाद अंतरिम सरकार के सदस्य लियाकत अली खान ने 1947-48 का बजट पेश किया था। देश की आजादी के बाद भारत के पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया।
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बजट लीक हुआ तो छपाई की जगह बदली
1950 तक बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी। इसी साल बजट के लीक होने के बाद प्रिंटिंग का स्थान बदल दिया गया। फिर नई दिल्ली के मिंटो रोड में बजट छापने की प्रक्रिया शुरू हुई।
1980 से शुरु हुई नॉर्थ ब्लॉक में होने लगी बजट की छपाई
साल 1980 में केंद्र सरकार ने नॉर्थ ब्लॉक में प्रिंटिंग प्रेस लगाने का फैसला किया और तब से लेकर आज तक यहीं बजट छपाई होती है। बजट प्रिंटिंग से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन होता है। इस सेरेमनी के बाद ही बजट प्रिंट होने की प्रक्रिया शुरू होती है।
1955 तक अंग्रेजी में पेश होता था केंद्रीय बजट
1955 तक केंद्रीय बजट अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था। इसके बाद केंद्र सरकार ने बजट पत्रों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला किया।
2017 में केंद्रीय बजट में रेल बजट का विलय
सबसे पहले 1924 में अंग्रेजों ने केंद्रीय बजट के अलावा रेल बजट की प्रथा शुरू की थी। तब से लेकर 2016 तक रेल बजट और केंद्रीय बजट अलग-अलग पेश किया जाता था। 2017 में मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने रेल बजट को केंद्रीय बजट के साथ विलय करने पर चर्चा की। इसके बाद बजट के विलय को देखने के लिए एक समिति का गठन किया गया। 2017 में ही अरुण जेटली ने पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया।
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बजट के समय और तारीख में बदलाव
बता दें कि साल 1999 तक केंद्रीय बजट पेश होने का समय और दिन निश्चित होता था। ब्रिटिश काल की प्रथा के अनुसार फरवरी महीने के आखिरी दिन शाम को पांच बजे केंद्रीय बजट पेश किया जाता था। 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय बदलकर इसे सुबह 11 बजे कर दिया। वहीं, 2017 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख को बदलकर इसे एक फरवरी कर दिया।
2021 में पहला पेपरलेस बजट
ब्रिटिश परंपराओं के अनुसार, बजट के दस्तावेज को भूरे या फिर लाल रंग के बैग में रखकर वित्त मंत्री बजट पेश करने संसद में पहुंचते थे। 2019 में निर्मला सीतारमण के कार्यभार संभालने तक ये सिलसिला चलता रहा। 2020 में कोरोना के प्रकोप के बाद 2021 में बजट में एक और अहम बदलाव आया और ये पेपरलेस हो गया।
बता दें कि बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा जो आठ अप्रैल तक चलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करेंगी। बजट पेश होने के बाद इसे दोनों सदनों से पास किया जाएगा। बता दें कि वित्त मंत्री अपने कार्यकाल के दौरान लगातार पांचवां बजट पेश करेंगी।
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